खरबूजे से चूचे तरबूज से चूतड़
मेरा नाम समीर है और मैं एक कॉल-ब्वॉय हूँ। अकेली और कामपिपासु महिलाओं और लड़कियों की चुदाई करना मेरा काम है। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ मेरा लण्ड 8 इंच का है। मैं एक अच्छे सुडौल और कसरती जिस्म का मालिक हूँ।
मेरा नाम समीर है और मैं एक कॉल-ब्वॉय हूँ। अकेली और कामपिपासु महिलाओं और लड़कियों की चुदाई करना मेरा काम है। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ मेरा लण्ड 8 इंच का है। मैं एक अच्छे सुडौल और कसरती जिस्म का मालिक हूँ।
आप सभी को मेरा नमस्कार.. मेरा नाम राहुल है, पटना का रहने वाला हूँ.. बिजनेस करता हूँ। मेरा अपना एक अच्छा ऑफिस है, मेरा प्लेसमेंट का काम है।
मुझे सेक्स का कोई अनुभव नहीं था, मेरा जीवन तो जैसे सूखा रेगिस्थान जैसा था। जब जवान हुआ तो मेरा लण्ड कुलांचे भरने लगा था। पर बस यदि लण्ड ने ज्यादा मारा तो मुठ मार लिया। कभी कभी तो मैं दो पलंगो के बीच में जगह करके उसमें लण्ड फ़ंसा कर चोदता था… मजा तो खास नहीं आता था। पर हाँ ! एक दिन मेरा लण्ड छिल गया था… मेरे लण्ड की त्वचा भी फ़ट गई थी और अब सुपाड़ा खुल कर पूरा इठला सकता था।
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नमस्कार दोस्तो, मेरी पहली कहानी मीना के साथ बिताये रंगीन पल-1 की प्रतिक्रिया में मुझे आपके बहुत सारे ईमेल मिले।
अब तक आपने पढ़ा..
जीजा साली को चोदने को बेकरार है तो साली की चूत भी उतनी ही गर्म है अपने जीजा से अपनी चूत की सील तुड़वाने को !
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मित्रो, मेरी शादी सात महीने पहले हुई थी।
आपके सामने मैंने अपनी कहानी का पहला हिस्सा कानपुर से इलाहाबाद रखा था और इलाहाबाद से आगे बनारस का सफ़र अब लिख रहा हूँ।
नमस्कार दोस्तो,
मेरी सेक्सी कहानी के पहले भाग
प्रियो पाठको और चुदाई करवाने वालियों को मेरा प्रणाम !
नमस्ते पाठको,
प्रेषक : विजय
मैंने उसे बाजू से पकड़ कर उठाया और इस तरह अपने आप से चिपकाए हुए वाशबेसिन की ओर ले गया कि उसका कमसिन बदन मेरे साथ चिपक ही गया। मैं अपना बायाँ हाथ उसकी बगल में करते हुए उसके उरोजों तक ले आया।
अब तक की इस हिंदी सेक्स कहानी में आपने पढ़ा था कि पैसे के चक्कर में मैं किसी की फर्जी गर्लफ्रेंड बन कर गोवा पहुँच गई थी.
जब से मेरी बीवी को पीएसी के जवानों और उसके जीजा ने पेला था उसकी चुदवाने की भूख और बढ़ गई थी। इसी दौरान मेरी बदली प्रतापगढ़ हो गई थी। नीलू की बुर की आग एकदम चरम पर थी। अब चुदवाते वक़्त वो खुल के गालियों का प्रयोग करती। वो अब पूरी रंडी हो चुकी थी। उस रंडी की चुदाई जितनी भी हो, कम ही थी
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लेखक- स्वीट राज और पिंकी सेन
प्रेषक : साहिल राजपूत