स्त्री-मन… एक पहेली-2 Hindi Romantic Story
मेरी रोमांटिक कहानी के पहले भाग
मेरी रोमांटिक कहानी के पहले भाग
प्रेषक : राधा, राज
सभी दोस्तों का बहुत बहुत धन्यवाद कि आप लोगों ने मेरी कहानी कुंवारी चूतों का मेला को सराहा।
मेरा नाम तरुण है, मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ. मैं 23 साल का हूँ, अच्छा पढ़ा लिखा हूँ, और वेल सेटलड हूं. आप सभी ने मेरी कहानी पढ़ी है. आप सभी को मेरी कहानी
अब तक आपने पढ़ा..
अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार. मेरा नाम राहुल मुख़र्जी है, मेरी उम्र 22 साल की है. वैसे तो मेरा परिवार बंगाल से है मगर अब दिल्ली में स्थापित हो चुका है.
अभी तक आपने पढ़ा कि मैंने चाची को चोदा, चचेरी बहन को चोदा तो माँ ने हमें चुदाई करते देख लिया. मेरी माँ की चूत भी चुदाई के लिए तड़प रही थी, माँ ने मेरे दोस्त से चुदाने की इच्छा जाहिर की तो मैंने अपने दोस्त को फोन करके आने को कहा. उसके आने से पहले ही हम माँ बेटे की चुदाई कैसे हो गई, पढ़ें!
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कहानी का पिछला भाग : रसीली की रस भरी रातें-1
अब तक की इस सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा कि संजय की मुँहबोली भांजी पूजा संजय के साथ सोने की जिद करने लगी।
लेखिका : राधिका शर्मा
हैलो दोस्तो, आप सबको मेरा नमस्कार..
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हैलो दोस्तो, मैं आपका राज.. नई दिल्ली से हूँ.. मैं 5’9” की हाइट का हूँ.. रंग गोरा और बॉडी एकदम कसरती है क्योंकि मैं रेग्युलर जिम जाता हूँ।
दोस्तो, मेरा नाम राज है, मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ तो सोचा क्यों न अपनी भी कहानी आपको बताऊँ…
लेखक : लीलाधर
मेरी चाची की चूत चुदाई की कहानी के पहले भाग
ईश्वर सबसे बड़ा रचयिता है, उसके कला कौशल की कोई सीमा नहीं है. कितनी तरह के पेड़ पौधे, कितनी तरह के जीव जंतु, कितनी तरह के मनुष्य. सभी के रंग रूप अलग अलग. न कोई कलाकार परमपिता की बराबरी कर सकता है और न ही कोई कंप्यूटर उसके बराबर रचना कर सकता है. मनुष्य की रचना भी कितनी पूर्णता के साथ की. देखने के लिए आँखें हैं, खाने के लिए मुंह है, चलने के लिए पैर हैं. कार्य करने के लिए हाथ हैं और सृष्टि के संचालन के लिए यौनांग हैं. ईश्वर के द्वारा बनाई गयी कोई भी वस्तु निरर्थक नहीं है.
दोस्तो, मैं पल्लव 32 साल का हूं और यह कहानी तब की है जब मैं 25 साल का था।
आज मैं आपको अपनी ज़िन्दगी की वो दास्ताँ सुनाने जा रही हूँ जिसे अगर गलती से भी मेरे पति ने पढ़ लिया तो वो अपने ऑफिस के
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अब तक आपने पढ़ा..
रवि ने धीरे से आँख खोल कर देखा तो ड्रेसिंग टेबिल के सामने शालू भाभी खड़ीं थीं, उनके बालों से पानी की बूंदें टपक रहीं थीं, भाभी ने अपने नंगे बदन को एक बड़े तौलिये से ढक रखा था। भाभी की चिकनी पतली टांगों से पानी की बूंदें नीचे बह रहीं थी।
सीमा अपने घर चली गई।
कृति भाटिया