पड़ोसन को चोदा
प्रेषक : हरीश
प्रेषक : हरीश
कम्मो तो मुझ पर अपना सब कुछ लुटाने, सबकुछ न्यौछावर करने को प्रस्तुत ही थी; कमी तो मेरी तरफ से थी कि मैं इतनी बड़ी दिल्ली में कोई एकांत कोना नहीं तलाश पा रहा था. ऐसी बेबसी का सामना मुझे पहले कभी नहीं करना पड़ा था. कम्मो मुझसे चिपकी हुई चुपचाप थी, वो बेचारी कहती भी तो क्या.
चूत की चुदाई करवा ली एक अजनबी से-1
गाँव की लड़की चुदाई स्टोरी में पढ़ें कि पड़ोसन लड़की ने एक दिन खुद ही मुझे अपने बाथरूम में बुला लिया. मगर उसकी चूत मैंने शहर में जाकर चोदी. कैसे?
अब बारी मेरी और अश्वनी की थी, अश्वनी मुझसे धीरे से बोला- यार आकांक्षा, मुझे लगता है कि मेरा जल्दी निकल जायेगा।
हैलो फ्रेंड्स, मेरा नाम राज है, मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ।
अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज पढ़ने वाले मेरे प्यारे दोस्तो, अभी कुछ समय पहले ही मुझे एक नया सेक्स अनुभव हुआ जिसको मैं आप सब पाठकों से शेयर कर रहा हूँ.
पर्बती की ना और बाद में मेरी भी ना
हाय डार्लिंग
यूं तो अन्तर्वासना पर बहुत अच्छी-अच्छी कहानियां आती हैं पर यहां औसत कहानियां भी मिलती हैं, कुछ तो कल्पना की अधकचरा सी उड़ान होती हैं जिसमें नायक बस जाते ही, जानी-अनजानी सी नायिका की योनि में अपना लिंग प्रवेश करवा कर फ़टाफ़ट अपना वीर्य-स्खलन करवाता है और फिर पाठकों से अपनी कहानी पर राय माँगता है।
हमेशा की तरह में अपने जॉब से रात 9 बजे अपनी बाईक से अपने घर को जा रहा था.. सर्दी का मौसम था.. रोड पर सन्नाटा था और सिर्फ ट्रक वाले ही निकल रहे थे।
खाने के बाद भैया और प्रदीप फिर हॉल में चले गए और टीवी देखने लगे। इधर भाभी और मैं भी रूम में चले गये। रूम में जाकर भाभी ने मुझे एक नाइटी निकाल कर दी और कहा- लो रोमा, तुम इसे पहन लो !
घंटे भर बाद ही एक सेमीनार था जो ससुर जी ने मुझे अटेंड करने को कहा था। मेरा मूड तो नहीं था पर सेमीनार में जाना भी जरूरी था। मैं एक बार फिर से नहाई और ट्राऊज़र और शर्ट और हाई हील के सैंडल की दूसरी जोड़ी पहन कर सेमिनार में पहुँच गई।
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हाय दोस्तो, मैं शाहिद एक बार फिर आपके सामने अपनी बीती बातें रखने आया हूँ।
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बात उस समय की है जब मैं गुरूग्राम में रहता था और जिम में फिटनेस ट्रेनिंग देता था।
हाय दोस्तो, मेरी यह स्टोरी भाई बहन सेक्स की है यानि भाई बहन की चुदाई की…
कहानी का पहला भाग : मेरी दूसरी सुहागरात-1
अब तक आपने पढ़ा..
दोस्तो, मेरी सेक्सी कहानी के पिछले भाग
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पूरी दुनिया ऑनलाइन होने की ओर भाग रही है। बची खुची कसर मेरे मोहल्ले के धोबी और नाई ने अभी हाल ही में पूरी कर दी। कल मैं प्रेस के लिए कपड़े डालने गया तो पाया कि उस दुकान का नया नामकरण हो गया है- सफेदधुलाईकॉम।
राज वीर