फुफेरी बहन और मेरी लुल्ली
राज मल्होत्रा की कहानी सुदर्शन मस्ती चोर के द्वारा
राज मल्होत्रा की कहानी सुदर्शन मस्ती चोर के द्वारा
विराट सिंह
अब तक आपने पढ़ा..
कैसे हो दोस्तो, आप सबको मेरा नमस्कार!
प्रेषक : संदीप कुमार
नमस्कार, मेरा नाम शान्तनु है। मेरी उम्र 25 वर्ष है और यह मेरी पहली कहानी है जो आप पढ़ने जा रहे हैं। आपका ज्यादा समय न लेकर ‘सीधी बात नो बकवास’ वाले सूत्र पर आता हूँ।
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा सादर प्रणाम।
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मेरा नाम राज किशोर है.. मैं फतेहाबाद हरियाणा में रहता हूँ। वैसे तो मैं एक इंजीनियर हूँ.. पर ज़्यादा पैसे कमाने के लिए बॉडी मसाज भी करता हूँ।
अब तक आपने पढ़ा..
इस कहानी का पिछला भाग: कामवासना पीड़िता के जीवन में बहार-1
दोस्तो, आज जो कहानी मैं आप लोगो को सुनाने जा रहा हूं उससे उम्मीद है की चुदक्कर लड़कियों के चूत की प्यास और ज्यादा बढ़ जाएगी।
प्रेषक : प्रशांत पाण्डे
दूसरी सुबह मैं फिर अपने टाईम पर उठा और रसोई की तरफ चाय की उम्मीद से चल पड़ा। लेकिन यह क्या… आज रसोई में कोई नहीं था, नीलू का कमरा भी बन्द था और अन्दर की लाईट भी बन्द थी।
कथा : शालिनी भाभी (राठौर)
मेरा नाम अक्षय (बदला हुआ) है, मैं कुल्लू, हिमाचल प्रदेश का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 19 साल है। मुझे पहले से ही मेरे दोस्त बोलते थे कि तेरा लंड बहुत ही बड़ा है और सच में मेरा लंड मेरे दोस्तों की अपेक्षा में बहुत बड़ा भी था।
कमल प्रीत
हैलो फ्रेंड्स, मैं अन्तर्वासना का बहुत ही बड़ा फैन हूँ और मैं हर रोज इसकी कहानियाँ पढ़ता हूँ और मुठ मारता हूँ.
जिम में चुदाई की शुरुआत से आगे
दोस्तो.. मेरी कहानी के तीसरे भाग
नमस्कार दोस्तो, मैं आपका एक बार फिर से स्वागत करता हूँ एक नई कहानी में, मेरी कहानी का नायक है राहुल और नायिका अनामिका है.
प्रेषिका : रिया सैनी
इमरान सलोनी ने दरवाजा खोला- ओह आप आ तो गए… क्या हुआ प्रणव भैया ??? उसने सलोनी को देख एकदम से गले लगाया और उसके गाल को चूमा… प्रणव हमेशा ऐसे ही मिलता था… विदेशी कल्चर… और उसकी पत्नी रुचिका भी… उसने नजर भरकर सलोनी को देखा… प्रणव- वाह सलोनी… आज तो मस्त सेक्सी लग रही हो… सलोनी- अरे रुचिका कहाँ है भैया… प्रणव- अरे क्या कहूँ हम दोनों यहीं आ रहे थे… कि रुचिका के मॉम-डैड का फ़ोन आ गया… वो कहीं जा रहे थे… मगर कुछ इमर्जेन्सी हो गई… तो अभी आधे घंटे बाद उनका प्लेन यहीं आ रहा है… हम दोनों उनको ही लेने जा रहे हैं… सॉरी यार फिर कभी जरूर आएंगे… मैं- अरे यार एकदम… ये सब कैसे? प्रणव- यार फिर बताऊंगा… मुझे तो इस पार्टी को मिस करने का बहुत दुःख है… अच्छा यार ज़रा जल्दी में हूँ… माफ़ कर दो… तुम दोनों मुझको… उसने एक बार फिर सलोनी को अपने गले लगाया… इस बार मैं पीछे ही था, मैंने साफ़ देखा उसके बायाँ हाथ सलोनी के चूतड़ों पर था… फिर वो तेजी से बाहर को निकल गया… मैं भी जल्दी से बाहर को आया… उसको सी ऑफ करने के लिए… मैं उसके साथ ही नीचे आ गया… रुचिका को भी एक नजर देखने के लिए… रुचिका उसकी महंगी कार में ही बैठी थी… मैं उसकी ओर गया… उसने तुरंत दरवाजा खोला… रुचिका ने पिंक मिनी स्कर्ट और टॉप पहना था… जैसे ही वो नीचे उतरने लगी… उसके बायाँ पैर जमीन पर रखते ही… उसकी स्कर्ट ऊपर हो गई… और दोनों पैर के बीच बहुत ज्यादा गैप हो गया… मुझे उसकी नेट वाली लाल कच्छी दिखी… मेरी नजर वहीं थी कि… रुचिका- ओह अंकुर एक मिनट… मैं सॉरी बोल पीछे हटा… रुचिका ने बाहर आ मेरे सीने से लग गाल को हल्का सा चुम्बन किया… मुझे प्रणव की हरकत याद आ गई… मैंने भी अपना बायाँ हाथ रुचिका के चूतड़ों पर रखा… ओह गॉड मेरी किस्मत… मेरी उँगलियों को पूरी तरह से नंगे, मक्खन जैसे चूतड़ों का स्पर्श मिला… बैठने से रुचिका की स्कर्ट पीछे से सिमट कर ऊपर हो गई थी… और उसने शायद लाल टोंग पहना था… जिससे उसके चूतड़ के दोनों उभार नंगे थे… मेरी उँगलियाँ खुद ब खुद उसके चूतड़ों के मुलायम गोश्त में गड़ गई… मैंने भी रुचिका के गाल पर चुम्मा लिया… और जब गाड़ी में देखा तो प्रणव ड्राइविंग सीट पर बैठ गया था… और वो मेरे हाथ को देख कर मुस्कुरा रहा था… मैंने जल्दी से रुचिका को छोड़ा और पीछे हट गया… रुचिका- सॉरी प्रणव… फिर बनाएँगे यार प्रोग्राम… अब तुम दोनों आना हमारे घर… मैं- कोई बात नहीं… ये सब भी देखना ही था… ठीक है… रुचिका घूमकर गाड़ी में बैठने लगी… उसने अभी भी अपनी स्कर्ट ठीक नहीं की थी… उसके चूतड़ों की एक झलक मुझे मिल गई… ना जाने मुझमे कहाँ से हिम्मत आ गई… मैंने रुचिका को रोका और उसकी स्कर्ट सही कर दी… रुचिका- क्या हुआ अंकुर।?? मैं- अरे या… स्कर्ट ऊपर हो गई थी… रुचिका- ओह… थैंक्स… प्रणव- हा हा हा… रुचिका आज… सलोनी तुमसे कहीं ज्यादा सेक्सी लग रही थी… रुचिका चिढ़कर- …तो नीचे क्यों आ गए… वहीं रुक जाते ना… मैं अंकुर के साथ चली जाती हूँ… प्रणव- ओह यार… मैं तो तैयार हूँ… क्यों अंकुर…?? मैं- हाँ हाँ… ठीक है… सोच ले… मुझे भी उनके सामने कुछ बोल्ड होना पड़ा… प्रणव ने गाड़ी स्टार्ट की- ..चल अच्छा फिर कभी सोचेंगे… वरना इसके पापा सोचेंगे… कि यार मेरी बेटी का पति कैसे बदल गया… और मैं उन दोनों को विदा कर ऊपर आ गया… दरवाजा खुला था… मैं अंदर गया… मधु हमारे बैडरूम के दरवाजे पर खड़े हो चुपचाप अन्दर झाँक रही थी… मैं चुपके से वहाँ गया, मुझे देखते ही वो डरकर पीछे हो गई… मैंने भी अंदर देखा… एक और सरप्राइज तैयार था… अंदर अरविन्द अंकल और सलोनी थे… मैं थोड़ा आश्चर्यचकित हो जाता हूँ… कहानी जारी रहेगी।
सभी मित्रों को मेरा नमस्कार.. यह अन्तर्वासना पर मेरी पहली कहानी है.. यदि मुझसे इस कहानी में कोई गलती हो जाए.. तो पहली कहानी मान कर मुझे माफ़ कर दीजिएगा।
अब तक की इस सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा था कि राजू जवान विधवा राधा की की प्यासी चुत के बारे में काका को बता रहा था।