वो काला भुसण्ड लौड़ा
लेखिका : शमीम बानो कुरेशी
लेखिका : शमीम बानो कुरेशी
स्नेहा रीमा से बात करने लगी।
दीदी ने ही जीजा साली की चुदाई करवा दी-1
इस सेक्स स्टोरी में अब तक आपने जाना कि मैं पूजा को तीसरी बार कुतिया बना कर चोदने में लगा हुआ था. मुझे उसकी बार बार की हिदायत के बाद भी उसकी गुलाबी मखमली गांड मारने का मन हो रहा था. मैं उसकी गांड में उंगली डाल कर चलाने लगा. ये शायद अभी उसको अच्छा लग रहा था, इसलिए उसने मुझसे कुछ नहीं कहा. जबकि मेरे इरादे खतरनाक हो चले थे.
प्रेषक : प्रेम सिंह सिसोदिया
दोस्तो, मैं अन्तर्वासना का पुराना पाठक हूँ। मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं और चूत या मुठ मारकर पानी निकला है।
दोस्तो.. इस बार की कहानी मुझे भोपाल के सलिल ने भेजी है। उन्हें अपनी बात लिखने में मुश्किल हो रही थी इसलिये मुझे ईमेल करके अपना किस्सा लिख भेजा… मैंने उकी कड़ियाँ पिरोकर कहानी का रूप दे दिया।
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प्रीति गिल
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दोस्तो.. मैं अन्तर्वासना का बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ, मैं अपनी यह पहली कहानी पेश कर रहा हूँ।
हैलो दोस्तो, आप सबको मेरा नमस्कार..
दोस्तो, अब तक आपने पढ़ा कि कैसे मुझे भाभी के भोसड़े के दीदार का लाभ मिला।
हाय फ्रेंड्स स्टोरी पढने वाली चूत और लोडों को मेरे लंड का सलाम . आपने आज तक बहुत सी स्टोरीस पढ़ी होंगी मैं भी आज अपनी एक सची स्टोरी इस साईट पे डालना चाहता हु ..मै राहुल हरियाणा से .
अब तक आपने पढ़ा..
रियल सेक्स स्टोरी का पहला भाग : सेक्स कहानी प्यार में दगाबाजी की-1
ये बात तब की है, जब मैं 18 साल का था. मैं जयपुर में पढ़ता था. मैं हर दूसरे महीने अपने घर उदयपुर आ जाया करता था. कुल नौ दस घंटे का रास्ता था, तो दिन मैं चार बजे की बस पकड़ के बारह घर पहुंच जाया करता था.
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लेखिका : नेहा वर्मा
पिछले भाग में आपने पढ़ा कि ट्रेन में मिली काली सलोनी लड़की की तरफ आकर्षित होकर मैंने उसके साथ प्रेम संबंधों की बात छेड़ दी. मैं अपने मकसद में कामयाब भी हो गया और वह आकर मेरे पहलू में बैठ गई. फिर मैंने उसके काले हुस्न की तारीफ की और इस वजह से मैं उसका भरोसा जीतने में कामयाब हो गया.
लेखक : अमित
आज जो कुछ भी हुआ, उसकी उम्मीद मीनाक्षी को सपने में भी नहीं थी, आज उसके विद्यालय की छुट्टी जल्दी हो गई तो उसने अपने बेटे अंकुर को भी उसके कॉलेज से छुट्टी दिला कर बाजार जाने का सोचा इसलिए वह कॉलेज के प्रिन्सीपल से अंकुर की छुट्टी स्वीकृत कराने गई कि उसने देखा कि प्रिन्सीपल तो आशीष है।
हैलो दोस्तो, मैं अरुण..
मैं हैप्पी सिंह हूँ.. यह मेरी पहली कहानी है। मुझे उम्मीद है कि कहानी आपको पसंद आएगी।
माँ एक बार जरा पीछे घूम जाओ ना!’