लड़कपन की यादें-10
अन्तर्वासना की कहानियाँ सत्य हैं अथवा काल्पनिक इसका निर्णय लेखक का अंतर्मन ही जान सकता है।
अन्तर्वासना की कहानियाँ सत्य हैं अथवा काल्पनिक इसका निर्णय लेखक का अंतर्मन ही जान सकता है।
लेखक : अमन वर्मा
घंटी बजी, दरवाजा खोला तो दूध वाला था।
अन्तर्वासना डॉट कॉम पर सेक्सी हिन्दी कहानियाँ पढ़ने वालों को चूतनिवास का नमस्कार! और लड़कियों के लिए मेरे लण्ड के 31 तुनकों की सलामी!
अन्तर्वासना के सभी पाठकों का एक बार फिर से मेरा तहे दिल से नमस्कार।
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सारिका कंवल
लेखक : नामालूम
प्रेषक : सावन शर्मा
सुशान्त चन्दन
अरूण मेरे बिल्कुल नजदीक आ गये। मेरी सांस धौंकनी की तरह चलने लगी। अरूण ने चेहरा ऊपर करके अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिया। आहहहह… कितना मीठा अहसास था। उम्म्म्म्म… बहुत मजा आ रहा था। मेरी आँखें खुद-ब-खुद बन्द हो गई।
‘मॉम, ये मेरे लिए एक पाप ही है। मुझे समझ नहीं आ रहा मैं आपको क्या जवाब दूँ और कैसे ये सब करूँ, मम्मी मुझे आपके साथ ये सब करने में बहुत झिझक हो रही है। क्या आ आप…?’
अब तक आपने पढ़ा..
प्रेषक : जैक डॉबिन्स
ईश्वर सबसे बड़ा रचयिता है, उसके कला कौशल की कोई सीमा नहीं है. कितनी तरह के पेड़ पौधे, कितनी तरह के जीव जंतु, कितनी तरह के मनुष्य. सभी के रंग रूप अलग अलग. न कोई कलाकार परमपिता की बराबरी कर सकता है और न ही कोई कंप्यूटर उसके बराबर रचना कर सकता है. मनुष्य की रचना भी कितनी पूर्णता के साथ की. देखने के लिए आँखें हैं, खाने के लिए मुंह है, चलने के लिए पैर हैं. कार्य करने के लिए हाथ हैं और सृष्टि के संचालन के लिए यौनांग हैं. ईश्वर के द्वारा बनाई गयी कोई भी वस्तु निरर्थक नहीं है.
इमरान सलोनी ने दरवाजा खोला- ओह आप आ तो गए… क्या हुआ प्रणव भैया ??? उसने सलोनी को देख एकदम से गले लगाया और उसके गाल को चूमा… प्रणव हमेशा ऐसे ही मिलता था… विदेशी कल्चर… और उसकी पत्नी रुचिका भी… उसने नजर भरकर सलोनी को देखा… प्रणव- वाह सलोनी… आज तो मस्त सेक्सी लग रही हो… सलोनी- अरे रुचिका कहाँ है भैया… प्रणव- अरे क्या कहूँ हम दोनों यहीं आ रहे थे… कि रुचिका के मॉम-डैड का फ़ोन आ गया… वो कहीं जा रहे थे… मगर कुछ इमर्जेन्सी हो गई… तो अभी आधे घंटे बाद उनका प्लेन यहीं आ रहा है… हम दोनों उनको ही लेने जा रहे हैं… सॉरी यार फिर कभी जरूर आएंगे… मैं- अरे यार एकदम… ये सब कैसे? प्रणव- यार फिर बताऊंगा… मुझे तो इस पार्टी को मिस करने का बहुत दुःख है… अच्छा यार ज़रा जल्दी में हूँ… माफ़ कर दो… तुम दोनों मुझको… उसने एक बार फिर सलोनी को अपने गले लगाया… इस बार मैं पीछे ही था, मैंने साफ़ देखा उसके बायाँ हाथ सलोनी के चूतड़ों पर था… फिर वो तेजी से बाहर को निकल गया… मैं भी जल्दी से बाहर को आया… उसको सी ऑफ करने के लिए… मैं उसके साथ ही नीचे आ गया… रुचिका को भी एक नजर देखने के लिए… रुचिका उसकी महंगी कार में ही बैठी थी… मैं उसकी ओर गया… उसने तुरंत दरवाजा खोला… रुचिका ने पिंक मिनी स्कर्ट और टॉप पहना था… जैसे ही वो नीचे उतरने लगी… उसके बायाँ पैर जमीन पर रखते ही… उसकी स्कर्ट ऊपर हो गई… और दोनों पैर के बीच बहुत ज्यादा गैप हो गया… मुझे उसकी नेट वाली लाल कच्छी दिखी… मेरी नजर वहीं थी कि… रुचिका- ओह अंकुर एक मिनट… मैं सॉरी बोल पीछे हटा… रुचिका ने बाहर आ मेरे सीने से लग गाल को हल्का सा चुम्बन किया… मुझे प्रणव की हरकत याद आ गई… मैंने भी अपना बायाँ हाथ रुचिका के चूतड़ों पर रखा… ओह गॉड मेरी किस्मत… मेरी उँगलियों को पूरी तरह से नंगे, मक्खन जैसे चूतड़ों का स्पर्श मिला… बैठने से रुचिका की स्कर्ट पीछे से सिमट कर ऊपर हो गई थी… और उसने शायद लाल टोंग पहना था… जिससे उसके चूतड़ के दोनों उभार नंगे थे… मेरी उँगलियाँ खुद ब खुद उसके चूतड़ों के मुलायम गोश्त में गड़ गई… मैंने भी रुचिका के गाल पर चुम्मा लिया… और जब गाड़ी में देखा तो प्रणव ड्राइविंग सीट पर बैठ गया था… और वो मेरे हाथ को देख कर मुस्कुरा रहा था… मैंने जल्दी से रुचिका को छोड़ा और पीछे हट गया… रुचिका- सॉरी प्रणव… फिर बनाएँगे यार प्रोग्राम… अब तुम दोनों आना हमारे घर… मैं- कोई बात नहीं… ये सब भी देखना ही था… ठीक है… रुचिका घूमकर गाड़ी में बैठने लगी… उसने अभी भी अपनी स्कर्ट ठीक नहीं की थी… उसके चूतड़ों की एक झलक मुझे मिल गई… ना जाने मुझमे कहाँ से हिम्मत आ गई… मैंने रुचिका को रोका और उसकी स्कर्ट सही कर दी… रुचिका- क्या हुआ अंकुर।?? मैं- अरे या… स्कर्ट ऊपर हो गई थी… रुचिका- ओह… थैंक्स… प्रणव- हा हा हा… रुचिका आज… सलोनी तुमसे कहीं ज्यादा सेक्सी लग रही थी… रुचिका चिढ़कर- …तो नीचे क्यों आ गए… वहीं रुक जाते ना… मैं अंकुर के साथ चली जाती हूँ… प्रणव- ओह यार… मैं तो तैयार हूँ… क्यों अंकुर…?? मैं- हाँ हाँ… ठीक है… सोच ले… मुझे भी उनके सामने कुछ बोल्ड होना पड़ा… प्रणव ने गाड़ी स्टार्ट की- ..चल अच्छा फिर कभी सोचेंगे… वरना इसके पापा सोचेंगे… कि यार मेरी बेटी का पति कैसे बदल गया… और मैं उन दोनों को विदा कर ऊपर आ गया… दरवाजा खुला था… मैं अंदर गया… मधु हमारे बैडरूम के दरवाजे पर खड़े हो चुपचाप अन्दर झाँक रही थी… मैं चुपके से वहाँ गया, मुझे देखते ही वो डरकर पीछे हो गई… मैंने भी अंदर देखा… एक और सरप्राइज तैयार था… अंदर अरविन्द अंकल और सलोनी थे… मैं थोड़ा आश्चर्यचकित हो जाता हूँ… कहानी जारी रहेगी।
पतिव्रता बीवी की चुदाई गैर मर्द से करवाने की तमन्ना-4
दोस्तो, आज आपको मैं अपनी एक बड़ी पुरानी कहानी सुनाने जा रहा हूँ। यह बात तब की है जब मैं सिर्फ 18 साल का था। मैं, मेरा छोटा भाई और मम्मी पापा हम सिर्फ चार लोगों का परिवार था।
Bahan Ke Sath Prem-leela-6
दोस्तो, मेरा नाम अभिषेक रॉय है, मेरी उम्र 19 साल है, मैं दिखने में बहुत स्मार्ट हूँ और मेरी हाईट 5 फुट 7 इंच है।
नमस्कार दोस्तो, मैं ऋषि कपूर, पटना का हूँ। मैं अपनी एक कहानी लिख रहा हूँ।
मैं आज आपको अपनी सच्ची बात बताने जा रही हूँ। मेरा नाम श्रद्धा है, मेरी उमर 35 साल है फिगर 35-28-36 है, रंग गोरा है, कद तकरीबन 5 फीट है। मैं शादीशुदा हूँ, मेरे 3 बच्चे हैं।
नमस्कार दोस्तो, आपने मेरी
दोस्तो, आज मैं तुम को नये साल के टाइम पर मेरी पहली चुदाई की बात बताता हूं।
मैं गर्ल्स हॉस्टल में रहने गई तो वहाँ की लड़कियों ने मुझे लेस्बीयन सेक्स से अवगत करवाया. इससे पहले मुझे नहीं पता था कि लड़कियां आपस में भी सेक्स कर सकती हैं.