पड़ोसन भाभी की ननद की चुदने की लालसा
हैलो दोस्तो.. लंड और चूत के मालिको.. आशा करता हूँ कि आप सभी अपने लंड और चूत की प्यास किसी ना किसी तरह बुझा ही रहे होंगे।
हैलो दोस्तो.. लंड और चूत के मालिको.. आशा करता हूँ कि आप सभी अपने लंड और चूत की प्यास किसी ना किसी तरह बुझा ही रहे होंगे।
दोस्तो, मैं नीलेश अपनी पहली कहानी लिखने जा रहा हूँ.. यह कहानी मेरी और मेरे दोस्तों के बीच की है.. जो शायद इस कहानी के बाद मेरे दोस्तों को पता चलेगी।
लेखक : राजा गर्ग
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पहले भाग में आप पढ़ चुके है कि किस तरह मेरी मदद से रवि ने अपनी शालू भाभी की चुदाई की.. मैं उस समय मंदिर जाने का बहाना बनाकर घऱ से निकल आई थी और बाथरूम से तौलिया लपेट कर निकली भाभी को रवि ने ठोक दिया था।
प्रेषक : रोहित खण्डेलवाल
प्रेषिका : नीनू
प्रेषक – विजय कुमार
प्रेषक : वही आपका प्यारा सनी
लेखक : इमरान
हैलो फ्रेंड्स.. मैं हरियाणा से हूँ.. मेरी हाइट 5 फुट 7 इंच है। आज मैं आपको एक रियल स्टोरी सुनाने जा रहा हूँ.. वो एक सच्ची स्टोरी ही है.. जो कि अब तक बिल्कुल अनकही है।
सर्वप्रथम सभी अर्न्तवासना के पाठको, चूत-प्रेमियों और रण्डियों को मेरा नमस्कार।
मैंने मधु के कपड़े सही किये, थोड़ा दूर हटा कहा- वो कभी भी बाथरूम से आ सकता है।
सम्पादक – इमरान
रात के करीब 1 बजे का समय रहा होगा कि अचानक मुझे महसूस हुआ कि कोई भारी भरकम वज़न मेरे ऊपर आकर गिर गया है..
मेरा नाम महेश है, दिल्ली में रहता हूँ, उम्र अभी 22 साल है।
लेखक : सनी
मेरा नाम रीना (बदला हुआ) है। मैं एक खुशहाल शादीशुदा छत्तीस साल की घरेलू महिला हूँ। मैं दिखने में कोई ज्यादा ख़ास नहीं हूँ, मेरा रंग भी सांवला है, हालाँकि मेरे फीचर्स और फिगर ठीक है, थोड़ी मोटी हूँ लेकिन औरतों में थोड़ा मोटापा अच्छा ही दिखता है।
मेरी हिंदी कहानी के पिछले भाग
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“ट्रिन… ट्रिन… ट्रिन… ” टेबल पर पड़े मेरे मोबाइल की रिंग से मैं चिहुंका, मैंने मोबाइल उठाकर स्क्रीन पर नज़र डाली और वापस रख दिया, यह मेरे द्वारा सेट किया हुआ डेली अलार्म था।
नमस्कार दोस्तो, मैं सारिका कँवल आप सभी पाठकों का हार्दिक धन्यवाद करना चाहती हूँ जिन्होंने मेरी कहानियों को तहेदिल से सराहा।
Jeena Isi Ka Naam Hai-10
प्रेषक – शाम
दोस्तो! मुझे लगता है मैं कोई पिछले जन्म की अभिशप्त आत्मा हूँ। पता नहीं मैं अभी तक अपनी सिमरन को क्यों नहीं भूल पा रहा हूँ? सच कहूं तो मिक्की, पलक, अंगूर, निशा, सलोनी और अब गौरी, मीठी या सुहाना में कहीं ना कहीं मुझे सिमरन का ही अक्स (छवि) नज़र आता है। जब भी मैं सुतवां जाँघों के ऊपर कसे हुए नितम्ब देखता हूँ मुझे बरबस वह सिमरन की याद दिला देती है।