बारिश में भीग कर देसी भाभी की चूत गर्म हो गई
मेरा नाम अभिमन्यु है उम्र 32 साल है, मेरे लौड़े का साइज़ मस्त है.. सुपारे का रंग एकदम सुर्ख गुलाबी है। मैंने आज तक बहुत सी लड़कियां और भाभियों को चोदा है।
मेरा नाम अभिमन्यु है उम्र 32 साल है, मेरे लौड़े का साइज़ मस्त है.. सुपारे का रंग एकदम सुर्ख गुलाबी है। मैंने आज तक बहुत सी लड़कियां और भाभियों को चोदा है।
सम्पादक जूजा
जब पापा छुट्टी पर मुंबई से आते तब जब भी मम्मी पापा अंदर होते तो दरवाजे के होल से चुदाई करते देखती थी। मम्मी पापा की चुदाई देख कर मैं खुद को सम्भाल नहीं पाती थी। मैं मम्मी के कमरे में चारपाई के नीचे चुपके से घुस जाया करती थी. एक बार जब पापा के दोस्त धनंजय चाचा और दूसरे बार जब कमलेश अंकल आये थे, तब मैं चारपाई के नीचे थी इसलिए देख कुछ नहीं पायी थी पर बातें, आवाज सब सुनी. उसी समय से मेरा मन भी अपने अंदर घुसवाने करने लगा था.
मेरी पीठ मेरे ससुर ताहिर अज़ीज़ खान जी के सीने से लगी हुई थी। मैंने अपना सिर पीछे की ओर करके उनके कंधे पर रख दिया। साढ़े-चार इंच ऊँची हील के सैंडल पहने होने से मेरा कद उनके कद से मेल खा रहा था। उनके हाथ मेरे सीने के दोनों उभारों को बुरी तरह मसल रहे थे। आईने में हमारा ये पोज़ बड़ा ही सैक्सी लग रहा था।
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मैं आभार प्रकट करता हूँ अपनी खूबसूरत साली का जिसने मुझे इस घटना को आपके सामने लाने की इजाजत दी।
शुरू-शुरू में तो मुझे बहुत शर्म आती थी। लेकिन धीरे-धीरे मैं इस माहौल में ढल गई। कुछ तो मैं पहले से ही चंचल थी और पहले गैर मर्द, मेरे ननदोई ने मेरे शर्म के पर्दे को तार-तार कर दिया था। अब मुझे किसी भी गैर मर्द की बाँहों में जाने में ज्यादा झिझक महसूस नहीं होती थी।
प्रेषक : सरफ़राज़ म पटेल
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Bahan Ke Sath Prem-leela-1
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। कहानियाँ पढ़कर कई बार दिल हुआ अपनी आप बीती सुनाने का लेकिन आज मौका मिला तो आपको अपनी एक सच्ची कहानी बताऊँगा।
अब तक आपने पढ़ा..
जूही परमार
यह एक सच्ची कहानी है, मानो या न मानो, आज से तीन साल पहले शुरू हुई और आज भी जारी है।
दोस्तो, मेरा नाम अगम जैन है, मैं 12वीं में पढ़ता हूँ. मेरी हाइट 5 फुट 8 इंच है. मेरी सेक्स स्टोरी पढ़िए और मजा लीजिये.
मेरा नाम नजमा है. मैं बिकानेर में रहती हूँ. मेरे अम्मी, अब्बू और चार भाई हैं. भाइयों के निकाह हो चुके हैं. मेरा एक अट्ठारह, एक ग्यारह साल का भतीजा है, दो 5-6 साल के हैं.
मेरे मोहल्ले में एक मोटर ट्रैक्टर सुधारने की वर्कशॉप थी जिसे पठान चाचा चलाते थे।
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चाची की बातें सुन कर मैंने हर्ष-उल्हास में उन्हें अपने बाहूपाश में जकड़ कर उनके मुख में चूम चूम कर गीला कर दिया।
अब तक ट्रेन में भीड़ कम हो गई थी, लेकिन दोनों उसी जगह, हैंडरेल का सहारा लिए, खड़े हुए बतिया रहे थे।
मस्ती कोठे की
मेरा नाम रचना है. लखनऊ में बक्शी का तालाब में मेरा घर पड़ता है. मैं 30 साल की जवान और खूबसूरत औरत हूँ. मुझे सेक्स और चुत चुदाई बेहद पसंद है. मेरा रंग दूध जैसा गोरा है. मुझे सिर्फ सुंदर और साफ़ रंग के लोग ही पसंद है. काले कलूटे लोगों से मैं बात नहीं करती हूँ. मेरे पति मयूर हर रात मुझे नंगी करके चोदते है. उनका लंड 7″ लम्बा और 2.5″ मोटा है. जब मेरी रसीली चूत में डालकर कुटाई करते हैं, तो मैं जन्नत की सैर करने लग जाती हूँ.
दोस्तो, आपने मेरी सेक्स कहानी के पिछले भाग
प्रिय अन्तर्वासना पाठको