शादीशुदा शीला की जवान चूत
हाय फ्रेंड्स, मैं 2006 से भीलवाड़ा राजस्थान में जॉब कर रहा हूँ पर मूलतः मैं हरियाणा का हूँ। मेरा कद 6′ है रंग एकदम साफ़ है.. बॉडी स्लिम फिट है और शक्ल से भी बुरा नहीं लगता हूँ।
हाय फ्रेंड्स, मैं 2006 से भीलवाड़ा राजस्थान में जॉब कर रहा हूँ पर मूलतः मैं हरियाणा का हूँ। मेरा कद 6′ है रंग एकदम साफ़ है.. बॉडी स्लिम फिट है और शक्ल से भी बुरा नहीं लगता हूँ।
अन्तर्वासना पर मैंने अभी तक कई कहानियाँ पढ़ी हैं। उनमें से कई अच्छी लगीं.. पर कई बकवास भी लगीं। तब भी मैं ये मानता हूँ कि अन्तर्वासना से अच्छी कोई साईट नहीं है।
दोस्तो
मैं हिमाचल का रहने वाला हूँ।
प्रेषिका : निशा
सभी पाठकों को मेरा नमस्कार, पाठिकाओं को मेरे खड़े लंड का सलाम! मैं रोनी सलूजा आपके समक्ष फिर से हाजिर हूँ! मेरी उम्र तीस साल है मैं मकानों की ठेकेदारी करता हूँ। सेक्स करने का शौक 20 साल की उम्र से है सेक्स के लिए साथी भी मिल जाते हैं बड़े सरल तरीके से, बस धैर्य और इंतजार सबसे ज्यादा जरुरी है।
मेरी सेक्स स्टोरी के पहले भाग
जूही परमार
कहानी का पहला भाग: चचेरी बहन का कौमार्य-1
कहानी का पिछला भाग: भाभी की गीली पैन्टी -1
हैलो दोस्तो, आज आपके सामने मैं लेकर आया हूँ, सुरेंदर सिंह पूनिया की कहानी। कहानी नहीं ये असल में घटी घटना है। सुरेंदर सिंह ने जो मुझे सुनाया वो मैं थोड़ा और मसाला डाल कर लिख कर आपके सामने पेश कर रहा हूँ, तो मजा लीजिये।
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क्या हाल है मेरे दोस्तो… मैं जानता हूँ कि यूँ अचानक से कहानी को बीच में छोड़कर ग़ायब हो जाने से मेरे कई पाठक मुझसे ख़फ़ा हैं. यक़ीन मानिए कुछ हालात ऐसे बन गए थे कि लिखने का मन नहीं कर रहा था! पर फिर किसी चाहने वाले से किए हुए वादे की याद आ गई!
सभी गीली चुत और खड़े लंड को सलाम!
अन्तर्वासना पर हिन्दी सेक्स स्टोरीज़ पढ़ने वाले मेरे दोस्तो, मैं फिर से हाजिर हूँ नई कहानी लेकर…
विकास- हा हा हा मैं तो सन्न रह गया.. तुमने पूरी पेशाब मुझ पर कर दी थी।
सभी पाठकों को मेरा प्रणाम। मेरा नाम अर्जुन चौधरी है। मैं पाली (राजस्थान) में रहता हूँ और अंतरर्वासना का नियमित पाठक हूँ।
अब हमारे लौटने का समय आ गया था, सेकेन्ड क्लास की स्लीपर की बर्थ रिजर्व थी हमारी, रात का सफ़र था, शाम साढ़े छः बजे गाड़ी चल कर अगले दिन सुबह 5-6 बजे तह हमारी मंजिल पर पहुँचनी थी।
सम्पादक जूजा
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दोस्तो, आप का हैरी फिर हाजिर है अपनी सच्ची कहानी लेकर !
मैंने उसके उरोजों को सहलाना शुरू किया। उरोज क्या थे दो रुई के गोले थे। सुगंधा के उरोज तो इसके सामने कुछ भी नहीं थे। मेरा लिंग पजामें में तंबू बना रहा था। मैंने उरोजों को जोर जोर से मसलना शुरू किया तो उसके मुँह से कराह निकली।
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