अंधी चाहत-2
रोनी सलूजा
रोनी सलूजा
नमस्कार दोस्तो, उम्मीद करता हूँ कि आप सब लोग अच्छे से अपनी ज़िन्दगी गुज़ार रहे होंगे. तो सबसे पहले मैं अपना परिचय आपसे करवा देता हूँ, मैं 22 साल का स्मार्ट, इंटेलीजेंट और दिल का एकदम साफ़ इंसान हूँ, जो हमेशा सबको खुश रखना चाहता है. मैं बैंगलोर के टॉप कॉलेज से अपनी इंजीनियरिंग कर रहा हूँ. वैसे तो मैं लड़का हूँ लेकिन मेरी टांगें और मेरा फिगर एकदम लड़कियों जैसा है. मेरी टांगों की वजह से बचपन से लेकर अब तक मेरे काफी दोस्तों ने मुझ पर ट्राई किया है. कमाल की बात तो यह है कि बहुत लड़कियों ने भी मुझे प्रपोज किया है. उनको शायद मेरे लुक्स और मेरे नेचर ने आकर्षित किया था.
लेखिका : कामिनी सक्सेना
आपने मेरी पिछली कहानी
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मेरा नाम श्याम है. मेरी उम्र अभी 42 साल की है. मैं स्कूल के दिनों से ही चूत चोदने का बड़ा शौकीन रहा हूं. लेकिन कभी मौका नहीं मिला तो मैं हाथों और किताबों से ही काम चला लेता था. बहुत बार लड़कियों को पटाने की कोशिश की, लेकिन सफ़ल नहीं हो पाया. सैंयां की जगह भैया बोल के दिल दुखा देती थीं सालीं.
प्रेषक : निखिल मेहरा
प्रेषिका : शिप्रा
यह कहानी मेरी सहेली ईशा की है, इसे मैं खुद लिख रही हूं तो मैं खुद को ईशा मान लेती हूँ और ईशा का पति राकेश की जगह मैं अपने पति रवि का नाम लिखूंगी।
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प्रेषक : प्रवीणा
पूस की सर्द रात थी, कभी-कभी बाहर हाड़ को कंपा देने वाली बर्फीली हवाएँ पत्तों से टकरा कर रात की नीरवता को चीरती हुई डरावनी शोर उत्पन्न कर रही थी, यह शोर किसी बेबस की चीत्कार सी लग रही थी। यह भयावह शोर मेरे भीतर एक अनजानी सी सिहरन पैदा कर रहा था।
सुशील ने कहा- भाभी, मैं घर हो आता हूँ! माँ को कह आता हूँ कि विनोद भैया के यहाँ कोई नहीं है, भाभी को डर लग रहा है तो मैं वहीं सो जाऊँगा।
सम्पादक- इमरान
न्यू अन्तर्वासना कहानी में पढ़ें कि मेरी सास को अस्पताल में दाखिल होना पड़ा और मैं उनकी सेवा के लिए रात को वहीं रुकती. ऐसे में मेरी चूत लंड लंड पुकार रही थी.
प्रेषिका : रत्ना शर्मा
मैं आपका दोस्त, राजवीर मिड्ढा फ़िर से आपकी खिदमत में हाज़िर हूँ जिंदगी की भाग-दौड़ में वाक़या एक नया अफसाना लेकर.
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Saudi Madam ki Moti Chikni janghen
मैं एक नए शहर में जब अकेले घूमने निकला तो मैं चलते चलते एक वेश्याओं की गली में पहुंच गया। मैंने देखा कि बहुत सी लड़कियाँ छोटे छोटे मकानों के सामने खड़ी थी। मैंने समझा कि सभी किसी त्यौहार की तैयारी करके कहीं जाने की तैयारी कर जा रहे होंगी। सभी सजे धजे थे । मुझे कुछ समझ न आया और आगे बढ़ता चला गया। गली में पहुंच कर देखा कि वहाँ सभी इशारों में बुला रहे थे। मैंने देखा कि एक आंटी मुझे बुला रही है। तो मैंने सोचा कि शायद आंटी को किसी प्रकार की मदद चाहिए।
दोस्तो, मेरी सेक्स कहानी मेरी और मेरी माँ के बीच की है. मेरे मेरी माँ के साथ सेक्स सम्बन्ध कैसे बन गए, यह मैं आपको बता रहा हूँ मां की चुदाई की इस कहानी में!
अब तक आपने जो पढ़ा उसमें आंटी और मेरे बीच प्यार के अहसास थे, फिर मैंने ‘आयय हायय मेरी जानेमन…’ कहते हुए मैंने आंटी को अपनी बांहो में उठा लिया और मकान के उस चौथे कक्ष की ओर बढ़ गया जिसे हम लोगों ने इलाज और इस काम के लिए ही आरक्षित कर रखा था।
दोस्तो, पिछली कहानी
नमस्त भाइयो तथा सभी प्रकार की चूतों को सादर प्रणाम!