जिस्मानी रिश्तों की चाह -9
सम्पादक जूजा
सम्पादक जूजा
कहानी के पिछले भाग में तनु भाभी की मस्ती और उनसे मेरी दोस्ती कैसे आगे बढ़ रही है वो आपने पढ़ी, अब आगे…
नंगी बुर की रानियों और लण्ड के शैतानो, मैं शरद सक्सेना आपके सामने फिर से एक नई कहानी के साथ हाजिर हूँ।
प्रेषक : आकाश वर्मा
मेरा नाम निखिल है. आज मैं अपनी आँखों देखी मॉम की चुदाई का हाल बताने जा रहा हूँ।
मेरा नाम वैभव डिकोस्टा है और मैं झाँसी का रहने वाला हूँ।
संता घर आया तो देखा कि उसकी बीवी बिस्तर पर नंगी लेटी हुई है, पसीना निकल रहा है और सांस फूली हुई है !
एक तो कड़ाके की सर्दी, ऊपर से बारिश और साथ में ओले. स्कूटर पर आते आते जैसे शरीर में ठंड से अकड़न आ गयी थी. जिस्म भीगने से.. और सर्द हवा के कारण सर्दी से बुरा हाल था. जब स्कूटर पर चलते चलते सहन शक्ति जवाब देने लगी, तो एक साइड में रोककर.. पनवाड़ी से एक सिगरेट ली और उसे पीते हुए ऑफिस के सहकर्मियों की बातें सोचने लगा, जो इस भयंकर ठंड में घर जाकर अपनी अपनी बीवियों को चोदने की बातें कर रहे थे.
दोस्तो.. मेरा नाम राकेश है। मेरी उम्र 21 साल की है। मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ और जो कहानी मैं आज आप लोगों को सुनाने जा रहा हूँ.. यह मेरी जिंदगी की एकदम सच्ची घटना है, आपसे विनती है कि थोड़ा समय देकर प्लीज़ इसे पूरा पढ़ें।
कहानी का पिछला भाग : किस्मत खुली, चूत फटी-1
नमस्कार दोस्तो, मैं रवि एक बार फिर इस सेक्सी हिंदी चुदाई स्टोरी साईट अन्तर्वासना पर आपका स्वागत करता हूँ!
मेरा कौशल्या है, मैं 38 साल की हूँ बलिया की रहने वाली हूँ जो हिन्दी स्टोरी मैं आप लोगों को बताने जा रही हूँ वो मेरे साथ हुई सच्ची घटना है।
अब तक आपने पढ़ा..
हैलो फ्रेंड्स, मैं डिनाइयल गुप्ता (बदला हुआ नाम) कोटा राजस्थान से आपके सामने अपनी भाभी की चुदाई की कहानी लेकर हाजिर हूँ। आज जो घटना बताने जा रहा हूँ.. मुझे आशा है कि इसे पढ़ कर आप लोगों के लंड रात भर पानी छोड़ते रहेंगे।
प्रेषक : आकाश
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार !
दोस्तो, मेरा नाम सुमीत (बदला हुआ) है. मेरी उम्र 25 साल है. मैं सिरसा (हरियाणा) में रहता हूं. मेरा रंग थोड़ा सांवला है. मेरे लंड का साइज ठीक ठाक है, मैं झूठ नहीं बोलना चाहता कि मेरे लंड का साइज बहुत बड़ा है.
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मैंने जाकर बोला- सॉरी चाची.. मुझसे गलती हो गई। आप इतनी खूबसूरत हो कि मुझसे रहा नहीं गया आप मुझे बहुत अच्छी लगती हैं।
आइये, थोड़ी देर के लिए अपने विचारों के वायुयान को धरती के धरातल पर उतारें… ज़रा सोचें कि हमारे एक भारत देश में क्या हो रहा है, हम क्या कर रहे हैं, क्यों कर रहे हैं, इसका क्या असर हो रहा है, गलती कौन कर रहा है, इसका भविष्य क्या है!
आज मैं आपको वो दास्तान सुनाने जा रही हूँ जो अपने अंदर और कई दास्तां छुपाए हुए है। मैंने अपनी ज़िंदगी में जो कुछ किया, जो पाया, जो खोया सब आपके सामने रखूंगी। यह मत समझिएगा कि यह कोई गमगीन दास्तान है.. नहीं, यह एक बहुत हसीन, बहुत रंगीन और जज़बातों से महकती दास्तान है। बस इसके जो किरदार हैं काश वो .. वो ना होते.. आप होते..
मैं समझ गया कि सासूजी क्या कहना चाहती हैं.. वो मुझसे चुदवाने के लिए बेताब हो चुकी थीं और मुझसे विधि के नाम पर चुदवाना चाहती हैं।
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प्रेषक : अमन वर्मा
प्रेषिका : स्लिमसीमा (सीमा भारद्वाज)