चोरी का तोहफ़ा
लेखक : जो हन्टर
लेखक : जो हन्टर
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मैं लंच के बाद से सोच रही थी कि अंकल ने मुझे रूम में क्यों बुलाया होगा, लंच करते वक्त ही अंकल बोले थे कि नीतू दोपहर को मेरे रूम में आना, थोड़ा काम है.
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प्रेषक : रुबीन ग्रीन
अब तक की कहानी में आपने पढ़ा…
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देर से ही सही … इतनी ज्यादा सेक्स में मजबूर होने के बाद ही सही पर अंत यही था कि उसने अब्बास से अपनी आज की दुर्दशा और अपनी ननद के दैहिक शोषण का बदला ले ही लिया था।
प्रेषक : समीर
प्रेषक :राजा गर्ग
आशु जैन
हेल्लो दोस्तो, पहले तो गुरूजी को मेरी कहानी अन्तर्वासना में प्रकशित करने के लिए धन्यवाद और आप सभी दोस्तों को प्यार जिन्होंने मुझे मेल किया..
मेरे प्यारे दोस्तो, मैं शिवम्, पिछले दो सालों से अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। यहाँ पर पढ़ी हुई कहानियों से प्रेरित होकर आप लोगों के सामने अपनी सच्ची हिंदी सेक्स स्टोरी और मेरा अनुभव तीसरी लड़की के साथ प्रस्तुत कर रहा हूँ।
दोस्तो अभी तक आपने पढ़ा कि कैसे मैं अपनी चूत की आग शांत करने के लिए दिल्ली के राज गर्ग के वाइफ़ स्वेपर्स क्लब में गई और वहाँ मुझे 5 लोगों ने सारी रात जम कर चोदा और सुबह होटल के एक वेटर ने भी मेरी अच्छी ठुकाई की।
प्रेषिका : शालिनी
दोस्तो. बीच में इम्तिहान होने की वजह से कुछ देरी हो गई.. माफ़ी चाहता हूँ.. आइए आगे चलते हैं।
मेरा नाम आदित्य है। मैं आगरा से हूँ। मेरे घर के पास एक लड़की रहती थी.. उसका नाम काजल है, मैं उसको रोज़ देखता था, कभी कभार उसे मिस काल भी करता था, मेरे पास उसका फ़ोन नम्बर था।
जून 2006 की बात है जब मैं क्लास 12वीं में दिल्ली में पढ़ता था और दोस्तों से ढेर सारे किस्से सुनता था। कुछ दोस्तों की गर्ल-फ्रेंड थी और वो उनके मुम्मे दबाते थे या उनकी किस लिया करते थे। मुझे भी यह सब सुन कर बहुत ज़रुरत महसूस होती थी कि मैं भी किसी लड़की के साथ वो सब करूं। मैं मुठ तो मारता ही था तो शरीर की ज़रूरत तो पूरी हो जाती थी पर हमेशा एक जिज्ञासा बनी रही कि किसी लड़की के साथ वो सब करके कैसा लगेगा।
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कहानी का पहला भाग : भूत बंगला गांडू अड्डा-1
चूत की चुदाई करवा ली एक अजनबी से-1
कहानी का पिछला भाग: केयर टेकर-1
प्यारे दोस्तो तथा सहेलियो, मैं फिर से हाजिर हूँ एक क्रास कनेक्शन की आप बीती लेकर!
आज घर में काफ़ी खुशी का माहौल था। लेकिन मैं सबसे ज्यादा खुश था और होऊँ भी क्यों ना, मेरी शादी जो थी।
अनीता अपने ससुर की पक्की चेली बन गई। अब वह ससुर के खाने-पीने का भी काफी ध्यान रखती थी ताकि उसका फौलादी डंडा पहले की तरह ही मजबूत बना रहे, पति की नपुंसकता की अब उसे जरा भी फ़िक्र न थी।