ऑफिस की लड़की से जिस्मानी रिश्ता सही या गलत-2
पिछले भाग से आगे..
पिछले भाग से आगे..
प्रेषक : ए के
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कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि रात को सोते समय मेरी वासना ने मुझे मोनी के बदन को छूने के लिये मजबूर कर दिया. मैंने उसके बदन का स्पर्श पाने के लिए नींद में होने का नाटक किया और अपना लंड उसके नितम्बों की दरार में घुसा कर रगड़ने लगा. मगर मेरे लंड ने कुछ ही पल में मेरा साथ छोड़ दिया. नीचे से अंडरवियर न पहना होने के कारण मेरी निक्कर मेरे वीर्य से गीली हो गयी. साथ ही मोनी की सलवार को भी मेरे वीर्य ने गीला कर दिया था.
मधु उठने की कोशिश करने लगी, मैंने उसकी उठने में मदद की और उसे बाँहों में भर कर उठाया।
अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज के सभी पाठकों को मेरी तरफ से नमस्ते, मेरा नाम कल्याण है, मैं पटियाला, पंजाब का रहने वाला हूँ।
अब शुरुआत हुई एक हसीन सफ़र की। एक हसीन शाम की मेरी जिंदगी की.. ! मेरी अब तक की सबसे खुशनुमा स्मृतियों की ! जिसकी याद से ही अलग सी गुदगुदी, सिहरन दौड़ जाती है दिल में !
मेरा नाम अनुराग शर्मा है, मैं इन्दौर में रहता हूँ।
अन्तर्वासना के सभी पाठको को नमस्कार !
अगर कॉलेज का दोस्त पति के बॉस के रूप में घर आ जाए तो पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं, दोनों तरफ़ आग सी भड़क जाती है, इन्तजार होती है तो बस एक चिंगारी की!
दोस्तो, आज मैं आपको अपनी आँखों देखा हाल एक कहानी के माध्यम से बताने जा रहा हूँ.. जो हकीकत मेरे सामने घटी.. वो मेरी मॉम संगीता की है।
Bahan Ke Sath Prem-leela-6
आपने अब तक की कहानी में पढ़ा था कि मैं सुखबीर के साथ सम्भोग करने में लगी थी.
अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा सादर प्रणाम!
लेखक : आदित्य शर्मा
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तो दोस्तो, पिछले भाग में आपने मेरे और मेरी चाची के बारे में जाना और कैसे मैं चाची के घर पहुँचा.. और किस तरह मैंने चाची को सिड्यूस किया।
मेरे प्रिय पाठको, रिश्तों में चुदाई की मेरी सेक्स कहानी के पहले भाग
हैलो दोस्तो, आज मैं आपको अपनी और अपने दोस्त की गर्लफ्रेंड की चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूँ।
प्रेषक : धीरज
अब तक आपने पढ़ा कि योजना के अनुसार सबसे पहले रूपा सचिन चुदवाने वाली थी। सोनाली और सचिन फ़ोन पर इशारों इशारों में काफी सेक्सी बातें करने लगे थे और सोनाली को समझ आ गया था कि सचिन अपनी मम्मी को नंगे नहाते हुए देख रहा था। इसी बात से प्रेरित होकर पंकज, सोनाली और रूपा ने एक रोल प्ले किया था। सचिन के आने तक ऐसे ही दिन काटते रहे।
अब तक आपने पढ़ा..
नमस्कार मित्रो, मैं आपका दोस्त जयेश मेरी आपबीती के साथ आपकी खिदमत में हाजिर हूँ। आशा है आप सभी तंदरुस्त होंगे और साथ ही आप जोरों में चुदाई भी कर रहे होंगे।
रुचि सीधे होकर मुझसे चिपक गई और बोली- सच राजीव, इतना मज़ा कभी चुदने में नहीं आया ! तुमने तो एक घंटे मेरी चूत में अपना लण्ड घुसा कर रखा। सच तुम तो वाकई मर्द हो ! मेरा आदमी तो दस मिनट में ही खाली हो जाता है।