मेघा आंटी की चूत तो चुदी ही नहीं थी-1
हैलो दोस्तो, मैं अपनी कहानी लेकर फिर से हाजिर हूँ।
हैलो दोस्तो, मैं अपनी कहानी लेकर फिर से हाजिर हूँ।
मैं अन्तर्वासना का पिछले कई साल से फैन हूँ, अन्तर्वासना पर तक़रीबन हर कहानी पढ़ चुका हूँ।
सुनीता और अजय दोनों भाई-बहन अपनी दीदी अनीता के यहाँ आ गये थे। अनीता ने भाई बहन की खूब खातिरदारी की।
यह पत्र रूपा वर्मा ने कामिनी सक्सेना को लिखा दोनों की एक सहेली मालिनी की समस्या के बारे में :
शोभा (बदला हुआ नाम)
मैंने व्हिस्की के दो पेग भरे और उसे लेकर बाथरूम में चली गई. शॉवर के नीचे नहाते नहाते हम पी रहे थे. एक दूसरे को चूम रहे थे. सहला रहे थे.
प्रेषक : जो हण्टर
दोस्तो, मेरा नाम संचित है.. मैं तलवाड़ा, होशियारपुर(पंजाब) का रहने वाला हूँ।
इतना बोलकर उन्होंने नीचे से ही दो तीन धक्के लगाये, मम्मी भी पापा की छाती से चिपकी हुई धक्के लगा रही थी पर अचानक पापा के तरफ से आये झटके से वो चौंक गई।
अभी तक आपने पढ़ा:
अब तक आपने अर्श की सोच के बारे में जाना था अब आगे..
लेखक : माइक डिसूज़ा
अंजलि कुंवारी है… यह सोच कर ही मेरा लंड बेकाबू हो रहा था. उसे तो अब बस बुर चाहिये थी!
पिछले भाग में आपको मैंने बताया था कि मेरे दोस्त अशोक के बताने पर मुझे एक लड़की को हासिल करने की चाह हो उठी थी और जब कोई लड़की नहीं मिली तो मैंने मौका देख कर अपनी बहन सोनिया से ही उसको नंगा देखने की चाहत से कहा कि सोनिया मैं तुम्हें देखना चाहता हूँ।
बुआ जैसे ही नहाकर बाथरूम से आई तो उसने केवल लाल रंग ब्रा और काली स्कर्ट पहन रखी थी। बुआ लाल ब्रा में बहुत सुन्दर लग रही थी। उसका गोरा और गीला बदन बिजली की तरह चमक रहा था।
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, मैं 24 वर्षीय जवान मस्त लड़का हूँ, अभी तक कई कुंवारी चूतों का मजा ले चुका हूँ। मैंने पहली चुदाई दिल्ली में की थी, वह चुदाई आज भी मुझे याद है, उसका चीखना और चिल्लाना आज भी मेरे कानों में मधुर स्वर की तरह गूंजता है। मन-मस्तिष्क में गुदगुदी कर उसकी कुंवारी चूत की याद दिलाती है। अब मैं आपको उस सच्ची कहानी के बारे में बताता हूँ। यह घटना आज से तीन साल पहले की है।
अन्तर्वासना के सभी पाठक एवं पठिकाओं को रूद्र का प्यार भरा प्रणाम।
जब बाबा का लण्ड मेरे अंदर जा कर लगता तो मुझे ऐसे लगता जैसा उनका लण्ड मेरी आंतड़ियों में जा कर लग रहा है, वो मेरे गाल होंठ नाक कान ठोड़ी पूरा चेहरा चाट गए, उनके थूक से मेरे दोनों स्तन भीगे पड़े थे, और उन पर उनके होंठो के चूसने और दाँतो के काटने के निशान भी यहाँ वहाँ बन रहे थे।
प्रेषक : बिग डिक
दोस्तो.. मेरा नाम सुमित है और मैं आगरा से हूँ। मैं एक बार फिर से एक और नई कहानी लेकर हाजिर हूँ। आप लोगों ने मेरी पहली कहानी को बहुत अच्छा रेस्पॉन्स दिया उसके लिए आप सभी का शुक्रिया।
नमस्कार दोस्तो, आपने मेरी
कौन कहता है कि इंसान का नेचर और सिग्नेचर नहीं बदलता, मैं कहता हूँ कि सिर्फ़ एक चोट की ज़रूरत है. हाथ पे लगे तो सिग्नेचर… और दिल पे लगे तो नेचर तो, क्या इंसान भी बदल जाता है.
मैंने कहा- तू इतन अच्छा चूसती है, इसका तो ये हाल होना ही था। कहाँ से सीखा ये सब?
कहानी का पहला भाग: भाभी के बाद कामवाली-1
मैडम ने मुझे अपने घर बुलाया