Chut Chudai – मेरा गुप्त जीवन- 23
बिन्दू को गर्भ रह गया
बिन्दू को गर्भ रह गया
दोस्तो, मैं अन्तर्वासना साईट पर हिंदी सेक्स कहानियां पिछले 2010 से पढ़ रहा हूं. किसी की कहानी सच्ची लगती तो किसी की कल्पना पर आधारित होती. पर मेरा एक दिन भी ऐसा नहीं जाता था, जब मैं कहानी न पढ़ूँ और मुठ ना मारूं.
जूही परमार
मेरा नाम सनी है, हमारा गाँव छोटा सा है. मेरे घर के सामने दीक्षा नाम की एक लड़की रहती है. बड़ी कमाल की है वो चिड़िया. चलते समय उसकी गांड बहुत सेक्सी ऊपर नीचे होती है. उसका सीना देखते ही मेरे तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं. वो लगभग पांच फीट ऊँची होगी. मैं तो उसका आँखों से ही चोदन करता रहता हूँ. उसको बिस्तर में इस्तेमाल करने की बड़ी आस मन में हमेशा से थी, है, और रहेगी.
अब तक आपने पढ़ा..
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मेरी पोर्न कहानी के पिछले भाग
मेरा नाम शिवा है.. उम्र 21 साल है, मैं महाराष्ट्र का रहने वाला हूँ।
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प्रेषिका : निशा भागवत
सम्पादक जूजा
चोदन हर किसी की चाहत और जरूरत है.
यह कहानी अनन्या नाम की शादीशुदा 24 वर्षीया एक जवान सेक्सी लड़की की है जो इलाहाबाद में रहती है। वह बहुत खूबसूरत है, उसका बदन 34-30-34 आकार का है। पतली कमर और चेहरा भी काफी सेक्सी है। इतने सेक्सी माल को देख सबके लंड सलामी देने लगते थे. यहाँ तक कि उसकी जवानी देख कर उसके ससुर और पति के बड़े भाई यानि जेठजी भी मन ही मन उसे चोदने की सोचते होंगे.
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‘यशोदा … सो गई क्या?’
मैंने अब उसकी आखिरी झिझक को दूर करना ही उचित समझा और उसका एक हाथ पकड़ कर उसे सीधे अपने ‘नवाब साब’ पर रख दिया।
जलती हुई मोमबत्ती लेकर मैं वापस कमरे में आया और बिस्तर के बगल में रखे मेज पर उसे ठीक से लगा दिया। मोमबत्ती की हल्की सी रोशनी में वंदना का दमकता हुआ चेहरा मेरे दिल पर बिजलियाँ गिराने लगा।
लेखक: अमित कुमार
अन्तर्वासना के पाठकों को नमस्कार। इससे पहले मेरी कई कहानियाँ
अभी तक कि कहानी में आपने पढ़ा था कि मैं कल्पना जी की खूबसूरती देखकर अपना सुधबुध खो बैठा था. अपने मन की अजीबोगरीब उलझन में ही उलझा था और उधर कल्पना रूम के दरवाजे के लॉक खोलने में बिजी थीं.
ईश्वर सबसे बड़ा रचयिता है, उसके कला कौशल की कोई सीमा नहीं है. कितनी तरह के पेड़ पौधे, कितनी तरह के जीव जंतु, कितनी तरह के मनुष्य. सभी के रंग रूप अलग अलग. न कोई कलाकार परमपिता की बराबरी कर सकता है और न ही कोई कंप्यूटर उसके बराबर रचना कर सकता है. मनुष्य की रचना भी कितनी पूर्णता के साथ की. देखने के लिए आँखें हैं, खाने के लिए मुंह है, चलने के लिए पैर हैं. कार्य करने के लिए हाथ हैं और सृष्टि के संचालन के लिए यौनांग हैं. ईश्वर के द्वारा बनाई गयी कोई भी वस्तु निरर्थक नहीं है.
हाय फ्रेंड्स… यह मेरी पहली कहानी है अन्तर्वासना पर ! वैसे मैं अन्तर्वासना का बड़ा कायल हूँ।
अलंकृता शर्मा
एक नारी होने की व्यथा कथा-1
प्रेषक : सबीर