एक शाम अनजान हसीना के नाम
Ek Sham Hashina ke Naam
Ek Sham Hashina ke Naam
प्रेषक : लव गुरू
मेरा नाम शैलेश है मैं दिल्ली से हूँ.. मेरी उम्र 21 साल है। मैं एक बार कुछ काम के सिलसिले में मुंबई जाकर रहा था।
इमरान सलोनी ने दरवाजा खोला- ओह आप आ तो गए… क्या हुआ प्रणव भैया ??? उसने सलोनी को देख एकदम से गले लगाया और उसके गाल को चूमा… प्रणव हमेशा ऐसे ही मिलता था… विदेशी कल्चर… और उसकी पत्नी रुचिका भी… उसने नजर भरकर सलोनी को देखा… प्रणव- वाह सलोनी… आज तो मस्त सेक्सी लग रही हो… सलोनी- अरे रुचिका कहाँ है भैया… प्रणव- अरे क्या कहूँ हम दोनों यहीं आ रहे थे… कि रुचिका के मॉम-डैड का फ़ोन आ गया… वो कहीं जा रहे थे… मगर कुछ इमर्जेन्सी हो गई… तो अभी आधे घंटे बाद उनका प्लेन यहीं आ रहा है… हम दोनों उनको ही लेने जा रहे हैं… सॉरी यार फिर कभी जरूर आएंगे… मैं- अरे यार एकदम… ये सब कैसे? प्रणव- यार फिर बताऊंगा… मुझे तो इस पार्टी को मिस करने का बहुत दुःख है… अच्छा यार ज़रा जल्दी में हूँ… माफ़ कर दो… तुम दोनों मुझको… उसने एक बार फिर सलोनी को अपने गले लगाया… इस बार मैं पीछे ही था, मैंने साफ़ देखा उसके बायाँ हाथ सलोनी के चूतड़ों पर था… फिर वो तेजी से बाहर को निकल गया… मैं भी जल्दी से बाहर को आया… उसको सी ऑफ करने के लिए… मैं उसके साथ ही नीचे आ गया… रुचिका को भी एक नजर देखने के लिए… रुचिका उसकी महंगी कार में ही बैठी थी… मैं उसकी ओर गया… उसने तुरंत दरवाजा खोला… रुचिका ने पिंक मिनी स्कर्ट और टॉप पहना था… जैसे ही वो नीचे उतरने लगी… उसके बायाँ पैर जमीन पर रखते ही… उसकी स्कर्ट ऊपर हो गई… और दोनों पैर के बीच बहुत ज्यादा गैप हो गया… मुझे उसकी नेट वाली लाल कच्छी दिखी… मेरी नजर वहीं थी कि… रुचिका- ओह अंकुर एक मिनट… मैं सॉरी बोल पीछे हटा… रुचिका ने बाहर आ मेरे सीने से लग गाल को हल्का सा चुम्बन किया… मुझे प्रणव की हरकत याद आ गई… मैंने भी अपना बायाँ हाथ रुचिका के चूतड़ों पर रखा… ओह गॉड मेरी किस्मत… मेरी उँगलियों को पूरी तरह से नंगे, मक्खन जैसे चूतड़ों का स्पर्श मिला… बैठने से रुचिका की स्कर्ट पीछे से सिमट कर ऊपर हो गई थी… और उसने शायद लाल टोंग पहना था… जिससे उसके चूतड़ के दोनों उभार नंगे थे… मेरी उँगलियाँ खुद ब खुद उसके चूतड़ों के मुलायम गोश्त में गड़ गई… मैंने भी रुचिका के गाल पर चुम्मा लिया… और जब गाड़ी में देखा तो प्रणव ड्राइविंग सीट पर बैठ गया था… और वो मेरे हाथ को देख कर मुस्कुरा रहा था… मैंने जल्दी से रुचिका को छोड़ा और पीछे हट गया… रुचिका- सॉरी प्रणव… फिर बनाएँगे यार प्रोग्राम… अब तुम दोनों आना हमारे घर… मैं- कोई बात नहीं… ये सब भी देखना ही था… ठीक है… रुचिका घूमकर गाड़ी में बैठने लगी… उसने अभी भी अपनी स्कर्ट ठीक नहीं की थी… उसके चूतड़ों की एक झलक मुझे मिल गई… ना जाने मुझमे कहाँ से हिम्मत आ गई… मैंने रुचिका को रोका और उसकी स्कर्ट सही कर दी… रुचिका- क्या हुआ अंकुर।?? मैं- अरे या… स्कर्ट ऊपर हो गई थी… रुचिका- ओह… थैंक्स… प्रणव- हा हा हा… रुचिका आज… सलोनी तुमसे कहीं ज्यादा सेक्सी लग रही थी… रुचिका चिढ़कर- …तो नीचे क्यों आ गए… वहीं रुक जाते ना… मैं अंकुर के साथ चली जाती हूँ… प्रणव- ओह यार… मैं तो तैयार हूँ… क्यों अंकुर…?? मैं- हाँ हाँ… ठीक है… सोच ले… मुझे भी उनके सामने कुछ बोल्ड होना पड़ा… प्रणव ने गाड़ी स्टार्ट की- ..चल अच्छा फिर कभी सोचेंगे… वरना इसके पापा सोचेंगे… कि यार मेरी बेटी का पति कैसे बदल गया… और मैं उन दोनों को विदा कर ऊपर आ गया… दरवाजा खुला था… मैं अंदर गया… मधु हमारे बैडरूम के दरवाजे पर खड़े हो चुपचाप अन्दर झाँक रही थी… मैं चुपके से वहाँ गया, मुझे देखते ही वो डरकर पीछे हो गई… मैंने भी अंदर देखा… एक और सरप्राइज तैयार था… अंदर अरविन्द अंकल और सलोनी थे… मैं थोड़ा आश्चर्यचकित हो जाता हूँ… कहानी जारी रहेगी।
मेरे प्यारे मित्रो एवं सहेलियों, एक लम्बे अंतराल के बाद आप लोगों से मिलना हो रहा है, आप सबको मेरा प्यार भरा नमस्कार।
अब तक आपने पढ़ा..
दोस्तो, मेरा नाम संदेश है. मैं पुणे का रहना वाला हूँ. मेरी पिछली हिंदी सेक्स स्टोरी
हैलो दोस्तो.. आपने मेरी कहानी पढ़ी कि कैसे मैंने अपनी बुआ की सील तोड़ी और उसके बाद मुझे कई ईमेल्स भी मिलीं।
रत्नेश भैया का लन्ड
इस बार होली पर मुझे अपनी चाची की चुदाई की कहानी याद आ गई जो मेरे साथ पिछले साल हुई थी.
मेरी जवानी की हवस की कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मेरी कामवासना की आग ने मुझे कोई तगड़ा जानदार लंड खोजने पर मजबूर कर दिया. मुझे मनचाहा लंड मिल भी गया.
मेरी प्रिय साइट अन्तर्वासना पर हिन्दी सेक्स स्टोरी पढ़ने वाले मेरे दोस्तो, आप सबको मेरा प्यार भरा नमस्कार।
मैं अर्चना हूँ और यह तब की बात है जब मैं नई नई दुल्हन बनी थी। मेरी शादी को 3 महीने हो गए थे। मेरे पति राजीव मुझसे बहुत प्यार करते थे। उनके 6 इंची मोटे लंड का स्वाद मेरी चूत तीन महीने में सौ से ज्यादा बार चख चुकी थी। जब वो घर पर होते थे तो चूचियाँ कभी भी दब जाती थीं। रात को कंप्यूटर पर कई बार ब्लू फिल्म मुझे दिखा चुके थे।
अब तक इस हॉट कहानी में आपने पढ़ा कि प्रिया इस वक्त बहुत ही चुदासी हुई पड़ी थी. उसकी चुदाई को मैंने स्लो कर दिया था. जिससे वो मुझे घूरने लगी थी.
मैं उसकी जींस के ऊपर से ही उसकी चूत मसलने लगा साथ में उसका निचला होंठ अपने होठों में भर के चूसने लगा, फिर अपनी जीभ उसके मुंह में घुसा दी वो भी मेरी जीभ चूसने लगी।
मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ.. आज तक मैंने लगभग सभी कहानियाँ पढ़ीं हैं।
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मैं राज हूँ. मैं सूरत से हूँ. एक दिन की बात है, जब मैं ऑफिस में था, मेरे बॉस केबिन में बैठे थे. बॉस बड़े ही अच्छे और शान्त स्वभाव के इंसान हैं और बातचीत में भी अच्छे हैं.
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पतिव्रता बीवी की चुदाई गैर मर्द से करवाने की तमन्ना-5
प्रेषक : अमित दुलेरा
प्रेम गुरु की कलम से
जब सोनिया ने मेरी बात सुनी तो वो बोली- हाँ, माँ के लौड़े! तुझे तो मैं इतनी गालियाँ बकूँगी हरामी कि तेरी माँ चुद जाएगी साले।’