गाण्ड मारे सैंया हमारो-2
प्रेम गुरु और नीरू बेन को प्राप्त संदेशों पर आधारित
प्रेम गुरु और नीरू बेन को प्राप्त संदेशों पर आधारित
प्रेषिका : लक्ष्मी बाई
मेरा नाम अर्शदीप कौर है लेकिन सब मुझे प्यार से अर्श कहते हैं।
अभी तक आपने पढ़ा कि मैं मौसी को पटाने की कोशिश कर रहा था और शादी में जगह की कमी के कारण मौसी को मेरी बगल में ही सोना पड़ा. मैं इस मौके को भुनाना चाहता था.
जवानी की पहली बरसात-1
अब तक आपने मेरी और मेरी मम्मी की एक साथ चुदाई की कहानी
सम्पादक – जूजा जी
प्रेषक : लव यू जे
अन्तर्वासना सेक्स कहानी पढ़ने वाले मेरे दोस्तो, आप सबको नमस्कार, मैं अपनी पहली कहानी आपके सामने रख रहा हूँ, उम्मीद है आप सभी को पसंद आएगी.
मुंबई से मेरी चचेरी बहन पिंकी गरमियों की छुट्टियाँ गुजारने मेरे घर आई थी। वो अभी कमसिन उम्र की थी.. जब वो हमारे घर आई तो कुछ लम्हों के लिए तो मैं उसके मासूम हुस्न के जलवों में खो कर ही रह गई, मुझे लगा जैसे मेरा दिल धड़कना भूल गया है।
हैलो फ्रेंड्स, मेरा नाम वंश है. यह मेरी पहली कहानी है. मैं दिल्ली में रहता हूँ. मैं एक औसत सा दिखने वाला जवान लड़का हूँ. मेरी आयु तेईस साल की है मेरा बचपन से ही दूसरे धर्म की भाभियों और लड़कियों में बीता और मैं उनमें ही ज्यादा इंट्रेस्टेड रहता था. इसके पीछे एक ख़ास वज़ह यह थी कि उनमें एक अलग ही कशिश होती है. उनका वो बुरका पहन कर रहना. उसमें से उनकी खूबसूरत नशीली आंखें दिखना. उनका इतना गोरा जिस्म होता है कि बस पूछो ही मत. कुल मिला कर कोई भी मर्द उन्हें देख कर पागल हो सकता है.
कहानी का पहला भाग:
हाय, मेरा नाम निर्माण है। मेरी इस साइट पर पहली और रियल सेक्स की गंदी कहानी है।
प्रेषिका : कौसर
सभी पाठक पाठिकाओं को मेरा प्यार भरा नमस्कार !
रात के सात बज रहे थे, भाभी के साथ मैंने खाना बनाया, भाईसाहब टूर पर थे, भाभी ने बताया- मेरे साहब महीने में 10-12 दिन बाहर रहते हैं।
मैं अंजलि… मैं मेरी पोर्न स्टोरी इन हिंदी लिख रही हूँ, मजा लें!
हेलो, मैं कोमल एक बार फिर से हाजिर हूँ अपनी अधूरी कहानी पूरी कहानी करने!
हैलो साथियो.. मेरा नाम रोहन (बदला हुआ) है, पंजाब के जालंधर शहर में रहता हूँ, मैंने अभी ग्रॅजुयेशन कंप्लीट की है और जॉब ढूँढ रहा हूँ।
दोस्तो, मैं अर्पित, दिखने में स्मार्ट 5’10” हाइट और बॉडी फिट, सहारनपुर का रहने वाला हूँ लेकिन फिलहाल देहरादून में रहता हूँ और एक मार्केटिंग की कंपनी में काम करता हूँ तो घूमना फिरना लगा ही रहता है।
प्रेषक : अजय
दोस्तो,
प्रेषक : विकास गुप्ता
मेरा बेटा दही लेकर आ गया था. मैं भी फ्रेश हो के नहा के आ गया और सबने मिल के नाश्ता किया. हमारी ट्रेन अगले दिन शाम को थी.
पूस की सर्द रात थी, कभी-कभी बाहर हाड़ को कंपा देने वाली बर्फीली हवाएँ पत्तों से टकरा कर रात की नीरवता को चीरती हुई डरावनी शोर उत्पन्न कर रही थी, यह शोर किसी बेबस की चीत्कार सी लग रही थी। यह भयावह शोर मेरे भीतर एक अनजानी सी सिहरन पैदा कर रहा था।