गर्लफ्रेंड की कुंवारी चूत उसी के घर में फाड़ी
🔊 यह कहानी सुनें
🔊 यह कहानी सुनें
दोस्तो और प्यारी भाभियो, जवानी की मस्ती में झूम रही जवान लड़कियो…
दोस्तो, आप सबका हिन्दी सेक्स कहनी की साइट अन्तर्वासना पर फिर से स्वागत है।
हाय फ़्रेन्ड्स, मेरा नाम मनीष है। यह मेरी पहली कहानी है तथा पूरी तरह सच्ची है।
मेरा नाम साहिल है। आज मैं आपको एक काल्पनिक कथा सुनाने जा रहा हूँ जो मैंने सोची तो है, पर असल में यह संभव नहीं हो पाई।
मीनू मेरी बहुत अच्छी सहेली है, मैं अक्सर उसके घर जाती हूँ।
सुशान्त चन्दन
सम्पादक – जूजा जी
प्रेषक : जो हण्टर
मेरे प्यारे दोस्तो, मेरा नाम वरुण देव है, मैं कानपुर, यू पी का रहने वाला हूँ लेकिन फिलहाल दिल्ली में रहता हूँ। सब लड़कों की तरह मुझे भी लड़कियों की चूत और गाण्ड मारना बहुत पसंद है।
सुनीता मेरे मुंह पर ही झड़ गई, मैंने चाट चाट कर उसकी चूत साफ़ कर दी, उसकी चूत चूसते हुए लंड तो मेरा भी खड़ा हो गया था पर उस वक़्त चुदाई नहीं हो सकती थी।
अब तक की इस बेटी से सेक्स कहानी में आपने पढ़ा था कि मोना ने उस नई कमसिन लड़की से गोपाल के पैरों की मालिश करवा के बीच में ही हटा दिया था, जिससे गोपाल लंड की मालिश करवाने की अधूरी चाह लेकर रह गया था.
अंधेरे में एक साया एक घर के पास रुका और सावधानी से उसने यहाँ-वहाँ देखा। सामने के घर की छोटी सी दीवार को एक फ़ुर्तीले और कसरती जवान की तरह उछल कर फ़ांद गया और वहाँ लगी झाड़ियों में दुबक गया।
मैं जब हॉस्टल में आई तो मैंने देखा वहाँ पर रूम बड़े अच्छे और सभी सामान के साथ थे. एम ए की पढाई करने वालों के लिए सिंगल रूम था. रूम देख कर मैं बहुत खुश थी. हॉस्टल में आते ही जो अनुभव मुझे हुआ वो मैं आपको बताती हूँ।
दोस्तो, वरिन्दर सिंह.. लुधियाना से आप सबके लिए एक नई कहानी लेकर आया हूँ।
मेरी गीली चूत से अन्तर्वासना के सभी पाठको को आपकी प्रभा का सेक्स भरा नमस्कार!
भाभी मेरे लण्ड को अपने मुँह में डाल कर चूसने लगी थीं।
हैलो फ्रेंड्स, मैं रोहित पटना से हूँ, मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ. मैंने यहां प्रकाशित बहुत सारी कहानियां पढ़ी हैं. सेक्स स्टोरी पढ़ने के बाद मुझे लगा कि मुझे अपनी भी एक कहानी लिखना चाहिए. ये मेरी लाइफ की रियल सेक्स स्टोरी है कि कैसे मैंने अपनी मौसी को उनके घर में ही चोदा.
दोस्तो, मेरा नाम विहान है. मेरी उम्र 22 साल, कद 5’11”, रंग अच्छा खासा गोरा है. मैं हरियाणा के सिरसा जिले के एक गाँव का रहने वाला हूँ.
कहानी का पिछला भाग : दोस्त की माँ, बुआ और बहन की चुदाई-1
मैं समझ गया कि वो ओर्गेज्म पर पहुँच चुकी थी इसलिए उसे छोड़ दिया और वहीं जमीन पर लेट गया।
यह कहानी 1964 की गर्मियों की है. हमारे परिवार के सभी सदस्य एक विवाह में शरीक होने अपने गांव गये थे, हम तीन भाई-बहन और मां-बाबूजी. मैंने 12वीं की बोर्ड की परीक्षा दी थी और परिणाम का इंतज़ार कर रहा था.
कहानी का पिछला भाग: गर्लफ्रेंड के साथ मेरा पहला सेक्स-2
प्रिय पाठको, आपको मेरा नमस्कार.. आज पहली बार मैं अपनी वो कहानी आपसे साझा कर रहा हूँ जिसने मुझे झंझोड़ कर रख दिया था।
अब तक इस सेक्स कहानी के दूसरे भाग