रेलगाड़ी में मिली एक यौवना
प्रिय दोस्तो, जैसा मैंने पिछली कहानी ‘दिल्ली की साक्षी’ में अपनी आपबीती सुनाई। आप सब लोग इतना पसंद करेंगे, मैंने कभी सोचा नहीं था ! आज मैं आपको अभी हाल में ही घटी एक घटना के बारे में बताता हूँ।
प्रिय दोस्तो, जैसा मैंने पिछली कहानी ‘दिल्ली की साक्षी’ में अपनी आपबीती सुनाई। आप सब लोग इतना पसंद करेंगे, मैंने कभी सोचा नहीं था ! आज मैं आपको अभी हाल में ही घटी एक घटना के बारे में बताता हूँ।
चूत की खुजली
Meri Suhagrat ki Chudasi Cheekhen
प्रेषक : रोहित मल्होत्रा
हाय दोस्तो, मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ. मेरा नाम अनिकेत है.. मैं भिलाई से हूं. मैं 5 फुट 11 इंच की हाइट का एक बहुत ही गोरा और एथलीट बॉडी का मालिक हूँ. मेरे लंड का साइज भी ख़ास बड़ा है. ये नपा हुआ 6.5 इंच लम्बा और 2.5 के पाइप जितना मोटा है.
दोस्तो, मैं नीलेश अपनी पहली कहानी लिखने जा रहा हूँ.. यह कहानी मेरी और मेरे दोस्तों के बीच की है.. जो शायद इस कहानी के बाद मेरे दोस्तों को पता चलेगी।
मेरी सेक्स स्टोरी हिंदी के पिछले भाग
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सम्पादक – जूजा जी
मेरी रोमांटिक कहानी के पहले भाग
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बात उस समय की है, जब मैं २8 साल का था. मेरी शादी को 5 साल हो गए थे. मैं बैंगलोर में एक डेढ़ साल की ट्रेनिंग के लिए गया था. पास के एक गांव में एक घर किराए पर लेकर 3 और साथियों के साथ रहने लगा. वो तीनों मुझसे छोटे थे. हमारे लिए खाना पकाना, कपड़े धोना, घर की सफाई आदि बड़ा मुश्किल काम था. तो हमने हमारी घर की मालकिन को यह समस्या बताई तो उसने हमारे लिए एक नौकरानी तलाश दी.
तभी अचानक मुझे अपने अन्दर झरना सा चलता महसूस हुआ। अरूण का प्रेम दण्ड मेरे अन्दर प्रेमवर्षा करने लगा। अरूण के हाथ खुद ही ढीले हो गये… और उसी पल… आह… उईईईई… मांऽऽऽऽऽ… मैं भी गई… हम दोनों का स्खलन एक साथ हुआ… मैं अब धीरे धीरे उस स्वर्ग से बाहर निकलने लगी। मैं अरूण के ऊपर ही निढाल गिर पड़ी। अरूण मेरे बालों में अपनी उंगलियाँ चलाने लगे और दूसरे हाथ से मेरी पीठ सहलाने लगे।
सोनम को चोदने के बाद मैं निढाल होकर लेट गया। हम दोनों एक दूसरे की बाहों में सिमट गए और सो गए।
मैं लाली हूं। 35 साल की होने पर भी अकेली हूं और शादि के बारे में नहीं सोचा। मैं अपनी बूढी मां के साथ रहती हूं।
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मुझमें हमेशा से एक दिली इच्छा थी कि गाँव की खूब लंबी चौड़ी और मजबूत बदन की औरत को गचगचा कर चोदा जाए लेकिन दिल की इच्छा कभी बाहर नहीं आ सकी क्योंकि मैं बचपन में दुबला पतला और कद में कम था।
अब तक आपने पढ़ा..
जूली- कल आपका आखिरी दिन है तो वादा करो कि कल दिन भर आप मेरी गोद में लिपटे रहोगे ! और किसी के पास नहीं जाओगे?
यह कहानी है एक भाई बहन की जिनका नाम है समीर और हिना!
प्रेषक : संदीप नैन
दोस्तो, मैं फिर हाजिर हूँ अपनी नई कहानी लेकर!
लेखक : संजय शर्मा उर्फ़ संजू
सम्पादक जूजा
अब तक आपने पढ़ा..