मकान मालकिन की रण्डी बनने की चाहत-3
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लाजवाब यह चूत मेरी
प्रिया कुतिया बन जाती है.. पैरों को ज़्यादा चौड़ा कर लेती है जिससे उसकी चूत का मुँह खुल जाता है।
प्रेषक : आशीष सिंह राजपूत
प्यारे साथियो, और चुत वालियों मेरा नमस्कार, आप लोगों के लिए मॉम की चुदाई की एक सच्ची स्टोरी पेश कर रहा हूँ,
अभिषेक वर्मा
दोस्तो, आप मेरी कहानियाँ antarvasnax.com पर पढ़ते हैं और सरहाते हैं उसके लिए धन्यवाद। आज फिर अपनी आपबीती बता रहा हूँ।
दोस्तो, मैं अनुज माहेश्वरी 20 वर्ष, मैं आज आपको यहां मेरी और मेरी मौसी की एक प्यारी कहानी बताने वाला हूं। मेरी मौसी 43 वर्ष की हैं पर हुस्न से 30 वर्ष की लगती हैं.
सभी अन्तर्वासना पढ़ने वालों को सन्नी शर्मा का कोटि कोटि प्रणाम!
प्रेषक : लव
अन्तर्वासना पढ़ने वाले सभी को नमस्कार..
भाभी कहने लगी- रोमा, तुम्हारे भईया का लंड बहुत बड़ा और मोटा है, मुझे उससे चुदने में बहुत मजा आता है। वो 8-10 दिन से बाहर हैं तो मैं चुदाई की प्यासी हो गई हूँ, अब तो ऐसे लग रहा है कि वो जल्दी से आ जायें और मुझे चोदें ! और वो भी मुझे चोदने के लिए उतने ही बेताब होंगे जितना कि मैं उनसे चुदने के लिए बेताब हूँ ! देखना आते ही सबसे पहले वो मेरी चुदाई करेंगे !
प्रेषक : आसज़
सुबह नींद समय पर ही खुल गयी, पल्लवी नंगी ही उठी और बाथरूम के अन्दर घुस गयी और मैं पलंग पर लेटकर उसका इंतजार करता रहा।
विक्रांत ने जल्दी से खाना खत्म किया क्योंकि उसे अकीरा से बात करनी थी। वो उसकी तरफ चुम्बक की तरह खिंचा चला जा रहा था। अकीरा के कई मैसेज आ चुके थे पर बच्चों के सामने वो रिप्लाई नहीं कर सकता था इसलिए उसे अपने कमरे में आने की जल्दी थी।
दोस्तो, मैं अर्पित एक बार फिर से आप के पास अपनी जिंदगी के कुछ यादगार लम्हे बांटने आया हूँ…
अभी तक आपने पढ़ा..
मुझे तो ज़ल्दी से माँ के साथ सोने की हड़बड़ी थी कि कैसे माँ से चिपक के उसके माँसल बदन का रस ले सकूँ। पर माँ रसोई साफ करने में ज़ुटी हुई थी, मैंने भी रसोई का सामान सम्भालने में उसकी मदद करनी शुरु कर दी।
नदी में दुल्हन को नंगी नहाते देखा
हैलो दोस्तो, मेरा नाम मनु है। और मैं मुंबई में रहता हूँ। मेरी उमर 27 साल है। मेरा गाँव का नाम इटावा है, जो उ.प्र. में है।
अलका को घर बहुत करीने से सजा के रखने का शौक है. ड्राइंग रूम में छह बड़ी बड़ी आराम कुर्सियां रखी हुई थीं और एक बड़ा सा दीवान था. कमरे की सजावट नीले और मैरून रंगों में थी. शायद ये अलका के मनपसंद रंग होंगे. आराम कुर्सियों के कुशन गहरे नीले, सीट हल्के नीले कपड़े की. परदे भी एक नीला और एक मैरून. दीवान हल्के नीले रंग का उस पर रखे हुए कई गाव तकिये मैरून. कमरे में दो टेबल लैंप की मद्धम मद्धम रौशनी आ रही थी. दोनों लैम्पों के शेड भी नीले थे, इसलिए रौशनी हल्का सा नीलापन लिए थी, वातावरण को बहुत कामुक बना रही थी. चुदाई के लिए यह बिलकुल सही माहौल था.
अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार!