चाची चार सौ बीस-1
मैं उन दिनों अपनी चाची प्रियंका के यहाँ रतलाम में आई हुई थी। चाचा तो हमेशा की तरह अपनी यात्रा पर गये हुये थे। चाची मुझसे बहुत प्रेम रखती थी थी। घर में सबसे छोटी मैं ही थी। चाचा के यात्रा में जाने के बाद चाची अकेली रह जाती थी, वो कोई अपना साथी चाहती थी।