कमसिन कॉलेज़ गर्ल की कामवासना
मेरा नाम रिया है, मैं अभी कॉलेज में पढ़ाई कर रही हूँ, मैं दिखने में गोरी हूँ, मेरे दूध पिछले साल उभरने शुरु हुए थे, और मेरे चूतड़ भी निकल आये हैं।
मेरा नाम रिया है, मैं अभी कॉलेज में पढ़ाई कर रही हूँ, मैं दिखने में गोरी हूँ, मेरे दूध पिछले साल उभरने शुरु हुए थे, और मेरे चूतड़ भी निकल आये हैं।
प्रेषक : अरिदमन
दोस्तो, मैं प्रेम, कैसे हैं आप सब?
लेखिका : दिव्या डिकोस्टा
लेखक : अमन सिंह
प्रेषक : राहुल शाह
प्रिय पाठको, आपने मेरी साली की चूत चुदाई की पिछली कहानी
रश्मि मुझे रोकते हुए- अरे मेरे राजा ऐसे नहीं, पहले चाटो इसे, इसका रस पीयो, फिर चूत में लंड डालना !
सभी पाठको को मेरा नमस्कार !
चोदन कहानी का पिछला भाग : बड़ी बहन की कुंवारी चूत चोदने की ललक-1
मेरे प्यारे दोस्तो, मैं माया आपको तहे दिल से शुक्रिया करती हूं कि मेरी पिछली चुदाई की कहानी
दोस्तो, मेरा नाम राज शर्मा है। यह कहानी मेरे मकान मालिक के बड़े भाई जो मेरे वाले ही मकान में रहते हैं.. उनकी शादीशुदा बड़ी बेटी की चुदाई की है.. उसका नाम रश्मि था.. उसकी उम्र 26 साल थी.. और उसकी एक लड़की भी थी। रश्मि दिखने में बिल्कुल हिरोइन जैसी ही लगती थी।
दोस्तो अभी तक आपने पढ़ा कि कैसे कुछ साल पहले राहुल की भाभी अंजना ने उसकी हालत को पहचाना, उसकी मदद की, उसे सेक्स के बारे में बताया, लड़की पटाने के कुछ गुर बताये, चुदाई करना सिखाया, का मजा दिया.
मैं शालिनी राठौर… याद तो हूँ ना आपको… आपकी मदमस्त भाभी…
‘वो मेरा काम है, कल रात को तेरा उदघाटन करना है, यह समझ कल तेरी सुहागरात है।’
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मैं एक प्राईवेट स्कूल में पढ़ाती हूँ। उसका एक बड़ा कारण है कि एक तो स्कूल कम समय के लिये लगता है और इसमें छुट्टियाँ खूब मिलती हैं। बी एड के बाद मैं तब से इसी टीचर की जॉब में हूँ। हाँ बड़े शहर में रहने के कारण मेरे घर पर बहुत से जान पहचान वाले आकर ठहर जाते हैं खास कर मेरे अपने गांव के लोग। इससे उनका होटल में ठहरने का खर्चा, खाने पीने का खर्चा भी बच जाता है। वो लोग यह खर्चा मेरे घर में फ़ल सब्जी लाने में व्यय करते हैं। एक मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में मेरे पास दो कमरो का सेट है।
सम्पादक – जूजा जी
दोस्तो, आप सब से एक गुजारिश है कि मेरा पहले वाला अकाउंट किसी वजह से डिसेबल हो गया है, इस लिए मेरा नया अकाउंट पर मुझे मेल भेज कर मेरी कहानी पर अपनी राय भेज सकते हैं।
लेखिका : नेहा वर्मा
नमस्कार दोस्तों,
अगले दिन जब मैं कॉलेज से वापिस आया तब मुझे ऋतु आंटी सीढ़ियाँ उतरते हुए मिली तो बोली- अरे अनु, तेरी मम्मी कहाँ है? आज सुबह से दिखी नहीं और जब मैंने ऊपर जा कर देखा तो दरवाज़े पर ताला लगा हुआ है।
मेरा नाम सोनाली, मैं कानपुर, उत्तर प्रदेश की हूँ।
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प्रेषिका : माया देवी