लिफ्ट का अहसान चूत देकर चुकाया-7
अभी तक मेरी गन्दी कहानी में आपने पढ़ा कि मैं अपने दोस्त के खाली घर में दो लड़कियों के साथ था और एक कुंवारी लड़की रेशमा की बुर में लंड अभी घुसाया ही था.
अभी तक मेरी गन्दी कहानी में आपने पढ़ा कि मैं अपने दोस्त के खाली घर में दो लड़कियों के साथ था और एक कुंवारी लड़की रेशमा की बुर में लंड अभी घुसाया ही था.
मेरा नाम साहिल है, मैं 35 साल का विवाहित पुरुष हूँ और अपनी पत्नी व 6 साल की बेटी के साथ दिल्ली में रहता हूँ।
फिर तनु की चूत के ज़ी-पॉन्यट को रगड़ने लगा।
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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्रणाम।
दोस्तो, मैं दिल्ली से 28 साल का युवक हूँ. मैं ये सेक्स स्टोरी अपने जीवन में पहली बार लिख रहा हूँ.
कहानी का दूसरा भाग : कट्टो रानी-2
प्रिय अन्तर्वासना पाठको
रोनी सलूजा
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सुबह आठ बजे करीब रचना ने मुझे उठाया तो वो नहा धोकर कपड़े पहन कर तैयार हो चुकी थी और अपने और मेरे लिये चाय लिये हुए थी।
प्रेषक – गणेश
दोस्तो, मेरा नाम प्रेम है, मैं औसत दिखने वाला लड़का हूँ, यहाँ कई कहानियाँ पढ़ने के बाद मैंने भी अपना एक अनुभव आपको बताने की कोशिश की है, उम्मीद है आपको पसंद आएगी, यह मेरी पहली कहानी है, गलतियों के लिए क्षमा करें।
धन्यवाद अन्तर्वासना, आपने मेरी पहली गे सेक्स स्टोरी
कुंवारी भाभी की कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि मुझे अपने ऊपर झुका देख कर मेरी इस हरकत का एहसास तो भाभी को भी हो गया था, पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी, तो मैंने भी मौके का फायदा उठाकर अपना एक हाथ उनके उभरे हुए वक्ष पर रख दिया. भाभी के मम्मों पर हाथ रखते ही मैंने किस करना बंद कर दिया और अपना चेहरा ठीक उनके चेहरे के सामने करके रुक गया. थोड़ी देर तक जब मैंने कोई हरकत नहीं की, तो उन्होंने अपनी आंखें खोलीं. मेरा चेहरा ठीक अपने चेहरे के सामने पाकर भाभी ने तुरंत ही फिर से आंखों को बंद कर लिया. कुछ सेकेंड बाद उन्होंने फिर से आंखें खोल कर मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे पूछ रही हों कि क्या हुआ रुक क्यों गए?
मैं शेखर का लिंग हूँ। मुझे अनेकों उपनामों से जाना जाता है क्योंकि लोग मेरा नाम लेने से शर्माते हैं। शेखर 36 साल का है और मुझ में बहुत दिलचस्पी रखता है। जब शेखर छोटा था तब उसे मेरे में कोई खास रूचि नहीं थी। तब मैं खुद भी छोटा ही था और शेखर सिर्फ मुझे सुसू करने के लिए इस्तेमाल करता था … पर आजकल तो मैं उसकी सोच का केंद्रबिंदु सा बना हुआ हूँ।
सम्पादक – जूजा जी
मैं जट्टी हूँ तो मैंने खुल कर ढिल्लों के बराबर पेग लगाए। आधे पौने घंटे बाद दारू ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया और घंटा पहले ज़बरदस्त तरीके से चुदी हुई मैं अब अपने जिस्म का कंट्रोल खोने लगी। दूसरा ढिल्लों ने वाइब्रेटर की गति पूरी तेज़ कर दी। चूत फिर लौड़े के लिए तड़प उठी।
चलती गाड़ी में अपने शरीर का कोई अंग बाहर न निकालें !
कैसे हो आप? मैंने अन्तर्वासना की हर कहानी पढ़ रखी है! आज मैं भी अपना एक ख़ुद का अनुभव लिख रहा हूँ, यह जो मैं कहानी सुनाने जा रहा हूँ वो मेरी चाची और मेरी है।
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सम्पादक – इमरान
आज सविता भाभी के मदमस्त जीवन की रंगीन कड़ियों में एक ऐसी कड़ी पेश है, जिसमें सविता भाभी ने अपने विवाह के बाद अपनी कुंवारे जीवन में की गई चुदाई की स्वीकार किया.
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