वीर्यदान महादान-3
विक्की कुमार
विक्की कुमार
मेरे प्यारे दोस्तो, आप सभी को मेरा नमस्कार. मैं मनीषा दिल्ली से हूँ. मैंने पिछली कहानी
हैलो फ्रेंड्स.. मेरा नाम मीठल भगत है, मैं मुंबई से हूँ.. मुझे मॉडलिंग का शौक था।
आपने अब तक पढ़ा..
अपनी असफलता से दुखी होकर मैंने वंदना की आँखों में देखा और उसने मेरी मुश्किल को भांप लिया… अब हम दोनों ने एक दूसरे के होठों को आजाद कर दिया था और मैं इस उधेड़बुन में था कि वो खुद अपने कुरते को निकलेगी या फिर मुझे कोई इशारा देगी…
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अगले दिन राजीव ने मेसेज भी किये और फोन भी, पर सारिका ने कोई जवाब नहीं दिया, अब वो राजीव की तड़फ का मजा ले रही थी।
टोनी की जिद पर हार कर हमने अपने कपड़े पहन लिए।
अन्तर्वासना के तमाम पाठकों को मेरे प्यासे लंड का प्रणाम है. मेरा नाम साहिल खान है. मैं झांसी का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 25 वर्ष की है. मेरे लंड का साईज 6 इंच है.
एक युवा जोड़ा अपनी छुट्टियाँ मनाने एक हिल स्टेशन पर गया।
लाँग स्कर्ट्स के बाद माइक्रो स्कर्ट्स की बारी आई। मैंने एक पहना तो मुझे काफी शर्म आई। स्कर्ट्स की लम्बाई पैंटी के दो अंगुल नीचे तक थी। टॉप भी मेरी गोलाइयों के ठीक नीचे ही खत्म हो रही थी। टॉप्स के गले भी काफी डीप थे। मेरे आधे बूब्स सामने नज़र आ रहे थे। मैंने ब्रा और पैंटी के ऊपर ही उन्हें पहना और एक बार अपने जिस्म को सामने लगे फुल लेंथ आइने में देख कर शरमाती हुई उनके सामने पहुँची।
मेरी सेक्स कहानी के पिछले भाग
मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ.. आज तक मैंने लगभग सभी कहानियाँ पढ़ीं हैं।
प्रेषक : करिश्मा पुरुष
यह सेक्स कहानी मेरे पड़ोस में एक लड़की की है। उसका नाम रूबल है। उसकी उम्र लगभग 20 की होगी। रंग एकदम गोरा, साइज़ 34-30-34 का है।
बात उस समय की है, जब मैं २8 साल का था. मेरी शादी को 5 साल हो गए थे. मैं बैंगलोर में एक डेढ़ साल की ट्रेनिंग के लिए गया था. पास के एक गांव में एक घर किराए पर लेकर 3 और साथियों के साथ रहने लगा. वो तीनों मुझसे छोटे थे. हमारे लिए खाना पकाना, कपड़े धोना, घर की सफाई आदि बड़ा मुश्किल काम था. तो हमने हमारी घर की मालकिन को यह समस्या बताई तो उसने हमारे लिए एक नौकरानी तलाश दी.
हैलो दोस्तो, नमस्कार!
मैंने हिंदी में देसी चुदाई की कहानी की बेस्ट साईट अन्तर्वासना की कई सेक्स स्टोरी पढ़ी हैं. मैंने सोचा कि मैं अपनी भी कहानी लिख कर आप सभी से साझा करूँ.
मेरा नाम अजय राज है और मैं रेल गाड़ी से भोपाल से मुम्बई जा रहा था मेरे आरक्षित बर्थ के सामने वाले बर्थ पर एक खूबसूरत कमसिन लड़की बैठी हुई थी। उसके माता पिता शायद ऊपर वाली बर्थ पर थे.
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कॉलेज में हड़ताल होने की वजह से मैं बोर हो कर ही अपने घर को कानपुर चल पड़ा. हड़ताल के कारण कई दिनो से मेरा मन होस्टल में नहीं लग रहा था. मुझे माँ की बहुत याद आने लगी थी. वो कानपुर में अकेली ही रहती थी और एक बैंक में काम करती थी. मैं माँ को आश्चर्यचकित कर देने के लिये बिना बताये ही वहाँ पहुँचना चाहता था.
दो तीन दिन बाद उसके दोनों आदमी नहीं आये, मैंने फ़ोन करके मेरे पति को यह बात बता दी.
लेखक : निशांत कुमार