लण्ड न माने रीत -1
उस दिन माँ का फोन सुबह सवेरे ही आ गया ‘बेटा.. कैसे हो.. इस बार होली पर आ रहे हो ना.. कितने साल हो गए घर आए हुए?’
उस दिन माँ का फोन सुबह सवेरे ही आ गया ‘बेटा.. कैसे हो.. इस बार होली पर आ रहे हो ना.. कितने साल हो गए घर आए हुए?’
मैंने बिस्तर पर चढ़ कर रानी के फूल से नाजुक शरीर को अपने आगोश में ले लिया।
काफी देर तक सोनी नहीं आई तो मैंने फिर से उसे आवाज लगाई- सो गई क्या… जल्दी आ…
पूजा की मस्त चुदाई के बाद उसकी गांड मारने का मूड बन गया था। मैंने कामोत्तेजक गोली खा कर उसकी आज रात को गांड मारने का मन बना लिया था।
एक बस में सभी सीटों पे मर्द बैठे हुए थे। एक लड़की सलमा बस में चढ़ी पर किसी ने उसको सीट नहीं दी।
मैंने नई जॉब ज्वाइन की थी, वहां मेरी दोस्ती राज से हुई, हम काफ़ी अच्छे दोस्त बन चुके थे.
हैलो फ्रेंड्स, मुझे अन्तर्वासना पर जुड़े अभी एक सप्ताह ही हुआ है.. और यह मेरी पहली कहानी है.. जो मेरे जीवन में अभी दो महीने पहले ही घटी है।
प्रेषिका : निशा भागवत
हमारे कमरे का दरवाजा बाहर से बन्द देख सभी आश्चर्य में थे केवल एक अमित जीजा को छोड़कर… उसकी कुटिल मुस्कान भी बता रही थी कि ऐसी हरकत उसी ने की है।
प्रेम गुरु की कलम से
प्रेम गुरु की कलम से…..
नमस्ते.. मैं अंगरेज एक बार फिर आप की सेवा में हाजिर हूँ। जैसा कि आप जानते हैं.. मैं पंजाब का एक जाट हूँ। मुझे हिंदी कम आती है।
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम शगुन है. मैं यूपी का रहने वाला हूँ. यह कहानी मेरी और मेरी चाची के बीच के नाजायज सेक्स संबंध की है.
हाई जानू,
लेखक : अमन वर्मा
आपने मेरी पिछली कहानी मामा के साथ वो पल कुछ समय पहले पढ़ी। अब मेरे जीवन की एक नई घटना पढ़िए।
नितिन कुमार
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हाय फ्रेंड्स, मेरा नाम कुमार है, उमर 46 वर्ष है. मैं दिखने में खूबसूरत हूँ, हाईट छह फीट है.
दोस्तो, मेरी सेक्सी कहानी के पिछले भाग
जिम मौरीसन
अब मैंने आगे बढ़ कर शशि भाभी को अपनी बाहों में ले लिया और उनके लबों पर ताबड़ तोड़ चुम्बन देने लगा और भाभी भी जवाबी चुम्मियां देने लगी।
ट्रेन में भाभियों के यौन रहस्य खुले
अनुजा- ये असली विज्ञान है.. रात को अपने कमरे में कुण्डी लगा कर सारे कपड़े निकाल कर इस किताब को पढ़ना.. और कल शाम को आ जाना.. बाकी सब कल समझा दूँगी।
मेरे दिल की धड़कन अब आसमान पर पहुँच चुकी थी। उसके घर में तीन बेडरूम थे.. तीनों हॉल से जुड़े थे। मैं जहाँ खड़ा था.. वहाँ पर बाथरूम था और मेरे ठीक सामने तृषा की माँ सोफे पर बैठ टीवी देख रही थीं। मैं हल्की सी आवाज़ भी नहीं कर सकता था.. और उधर कामवाली कभी भी सीढ़ियों से नीचे आ सकती थी।