रेलगाड़ी में मिली एक यौवना
प्रिय दोस्तो, जैसा मैंने पिछली कहानी ‘दिल्ली की साक्षी’ में अपनी आपबीती सुनाई। आप सब लोग इतना पसंद करेंगे, मैंने कभी सोचा नहीं था ! आज मैं आपको अभी हाल में ही घटी एक घटना के बारे में बताता हूँ।
प्रिय दोस्तो, जैसा मैंने पिछली कहानी ‘दिल्ली की साक्षी’ में अपनी आपबीती सुनाई। आप सब लोग इतना पसंद करेंगे, मैंने कभी सोचा नहीं था ! आज मैं आपको अभी हाल में ही घटी एक घटना के बारे में बताता हूँ।
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मैं अक्षत भोपाल से मैं अन्तर्वासना का काफ़ी समय से पाठक रहा हूँ। इसने प्रकाशित कहानियाँ मेरी नस-नस में उबाल ला देती है। मैं 28 साल का हूँ दिखने में ठीक-ठाक हूँ। बस सिर पर आगे की तरफ बाल थोड़े कम हैं।
इस कहानी के पहले भाग
मैं रेशू.. बचपन से सभी से घुल मिलकर रहती थी। किसी की भी गोद में बैठ जाती थी और किसी भी अंकल के साथ घूमने चली जाती थी।
नमस्ते दोस्तो, मेरी पिछली कहानी
अगले दिन जब मैं कॉलेज से वापिस आया तब मुझे ऋतु आंटी सीढ़ियाँ उतरते हुए मिली तो बोली- अरे अनु, तेरी मम्मी कहाँ है? आज सुबह से दिखी नहीं और जब मैंने ऊपर जा कर देखा तो दरवाज़े पर ताला लगा हुआ है।
मेरी सेक्स स्टोरी हिंदी के पिछले भाग
नमस्कार दोस्तो मैं आ गई अपनी सेक्स कहानी के नए रसीले पार्ट के साथ.. तो चलो वहीं से शुरू करते हैं.
अब तक की इस चोदन कहानी में आपने पढ़ा था कि सुमन अपनी माँ से अपने इकलौते होने के कारण पर सवाल-जबाव कर रही थी.
दोस्तो.. इस बार की कहानी मुझे भोपाल के सलिल ने भेजी है। उन्हें अपनी बात लिखने में मुश्किल हो रही थी इसलिये मुझे ईमेल करके अपना किस्सा लिख भेजा… मैंने उकी कड़ियाँ पिरोकर कहानी का रूप दे दिया।
हैलो दोस्तो, अब कई सारे राज खुल गए हैं, हाँ कुछ दोस्तो को गोपाल का सुमन से कनेक्शन जानना है, तो आपको वो भी बहुत जल्दी पता चल जाएगा, फिलहाल जहाँ रुके थे वहीं से आप आगे देखो.
अब तक आपने पढ़ा..
‘कर तो रहा हूँ वत्सला… चाट रहा हूँ न… बस अभी तुम्हें पूरा मज़ा मिल जायेगा।’ मैंने कहा।
(एक रहस्य प्रेम कथा)
मेरा नाम राज शर्मा, मेरा कद 5’8″, मेरे लंड का साइज़ अच्छा लंबा मोटा है. मैं काफी आकर्षक व्यक्तित्व वाला हूँ.
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अब तक आपने पढ़ा..
प्रेषक : सतीश
एक एक हुक खुलता हुआ ऐसे अलग हो जाता था जैसे बछड़ा बंधन छूटकर भागा हो। सारे हुक खोलकर उसने पीठ से ब्लाउज के दोनों हिस्सों को फैला दिया। गोरी पीठ सफेद ब्रा के फीते की हल्की-सी धुंधलाहट को छोड़कर जगमगाने लगी। दोनों तरफ बगलों से चिपके ब्लाउज के पल्ले उलटकर अपने ही भार से उसकी त्वचा से अलग होने लगे। रेशमा ब्रा के फीते में उंगली फँसाकर खींची, “बाप रे, कितना टाइट पहनती हो !” कहते हुए उसने ब्रा की हुक भी खोल दी।
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लेखिका : कामिनी सक्सेना
मेरी पिछली कहानी
कपड़े पहन कर हम वहाँ से निकले लेकिन मैंने जाने से पहले चौकीदार को 10 रूपए इनाम में दिये।