Sex On Road Story – खुले आसमान के नीचे कार के बोनट पर चुदी
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क्या हाल है मेरे दोस्तो… मैं जानता हूँ कि यूँ अचानक से कहानी को बीच में छोड़कर ग़ायब हो जाने से मेरे कई पाठक मुझसे ख़फ़ा हैं. यक़ीन मानिए कुछ हालात ऐसे बन गए थे कि लिखने का मन नहीं कर रहा था! पर फिर किसी चाहने वाले से किए हुए वादे की याद आ गई!
दोस्तो, एक बार फिर मैं आप लोगों का स्वागत करती हूँ।
नमस्कार दोस्तो, यह कहानी मेरी मौसी की बेटी की कुंवारी बुर चुदाई की है.
मेरा नाम रीतू चौधरी (बदला हुआ नाम) है। आज मैं सभी को अपनी पहली चुदाई की कहानी बताने जा रही हूँ।
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सबसे पहले मैं अपना परिचय देती हूं, मेरा नाम सविता अग्निहोत्री है। मेरी उम्र 48 साल है और मैं जयपुर से हूं। मेरा अपना बिज़नस है जो पिछले दो सालों से बहुत अच्छा चल रहा है। महीने के 2 लाख रुपये तक बच जाते हैं। पिछले 4 साल से मेरे हस्बैंड मेरे साथ नहीं रहते।
अन्तर्वासना के सभी पाठकों का एक बार फिर से मेरा तहे दिल से नमस्कार।
दोस्तो, मैं अरुण एक बार फिर आपके लंड और लड़कियों की चूत में हलचल मचाने के लिए एक नई कहानी आपके सामने लेकर आया हूँ। आशा करता हूँ कि यह कहानी भी आपको मेरी बाकी की कहानियों की तरह खूब पसंद आएगी।
हाय दोस्तो, मैं निशा फिर से आपके लिए सेक्स का नया सफर करने को तैयार हूं.
हेलो गाय्ज़, मैं 33 वर्षीया संजना लुधियाना से, मेरी फ़ीगर 38-32-40 है।
दोस्तो, आप सबको मेरा नमस्कार!
पिंकी सेन
लेखक : प्रेम गुरु
रजिया के जाने के बाद हमने नाश्ता किया, फिर ऊपर वाली मंजिल पर चले गए जहाँ फरहा का बेडरूम था। यहाँ पर स्वर्ग जैसी सारी सुविधाएँ मुहैया थी!
मैं वर्जिन जनरल आपके सामने फिर से हाज़िर हूँ। मुझे बहुत से मेल मिले, काफी मेल्स का जवाब कोशिश की, काफी जवाब नहीं दे पाया, उसके लिए मैं माफ़ी मांगता हूँ। मेरी कंपनी लेडीज और लड़कियों को प्यार देने के लिए बनी है। कुछ लेडीज और लड़कियों के मेल आये जो कि बदनाम होने के डर से अपनी बात कह नहीं पाती हैं। मेरी कंपनी ऐसी ही लेडीज और लड़कियों के लिए बनी है जिनको सेक्स करना भी है और मान-मर्यादा का ध्यान भी रखना है।
प्रेषक : आकाश
Pahle Pyar ki Nashili Chudai-2
नमस्कार दोस्तो मेरा नाम पायल शर्मा है। आप लोगों ने मेरी पहली कहानी
शादी में चूसा कज़न के दोस्त का लंड-12
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मैंने उनकी चूत के दोनों होंठों को खोला और उसमें जीभ डाल दी और उन्हें जैसे झटका लगा वो पीछे एकदम पीछे को हो गई।
यह घटनाक्रम मेरे एक पाठक राजवीर (छद्म नाम) की आपबीती है। वे स्वयं पाठकों के समक्ष नहीं आना चाहते तो उन्होंने मुझसे इस कहानी को आप तक पहुँचाने का अनुरोध किया है। इसलिए यह मेरी नहीं उनकी कृति है। मेरी कहानी के अभ्यस्त पाठकों को हो सकता है थोड़ी अलग-सी या कम लगे, लेकिन इसकी घटनाएँ रोचक हैं और वास्तव में घटित हुई हैं। इसे आपके सामने लाने के पहने इसकी भाषा में मुझे थोड़ा-बहुत सम्पादन करना पड़ा है।
दीपाली देर तक सोती रही क्योंकि आज स्कूल तो था नहीं और कल की चुदाई से उसका बदन दुख रहा था।
प्रेषक : ज़ूज़ा जी