एक शाम बरसात के नाम
लेखिका : कामिनी सक्सेना
लेखिका : कामिनी सक्सेना
मैं पेशे से एक फ़ोटोग्राफ़र हूँ, मुम्बई में रहता हूँ। मेरा अकसर शूटिंग के लिये बाहर जाना होता रहता है। ऐसे ही एक शूटिंग के लिये मैं एक बार गोवा गया था। मेरे लिये यह एक बहुत ही मजेदार अनुभव था। अपनी शूटिंग के बाद कुछ दिन के लिये मैं अकेला गोवा में रूक गया था। मैंने रेलगाड़ी से आने का फ़ैसला किया। मैंने ए सी कम्पार्टमेंट में अपने लिये एक सीट रिजर्व कराया। यह गोवा का ऑफ़ सीजन था इसलिए रेलगाड़ी में बिलकुल भी भीड़ नहीं थी। मुझे बहुत आसानी से रेलगाड़ी का टिकट मिल गया। शाम को 6 बजे मेरी रेलगाड़ी मडगाँव स्टेशन से छूटी। मेरे कम्पार्टमेंट में मुझे सिर्फ़ दो लोग दिखे लेकिन उनकी भी सीट डिब्बे के दूसरे कोने में थी। रेलगाड़ी वहाँ से चली और कुछ देर में ही कोई स्टेशन आया। जहाँ पर एक लड़की जो कि बहुत ही मॉर्डन कपड़ो में थी मेरे कम्पार्टमेंट में आई और मेरे भाग्य से उसकी सीट मेरे सीट की बगल में थी। उसने मेरे केबिन में प्रवेश किया। वह मुस्कराई और उसने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया।
मेरा नाम विशाल है और मेरे साथ हुई पहली घटना आपके सामने रख रहा हूँ।
मैं ड्राइवर को रास्ता बताती गई, घर ज़्यादा दूर नहीं था, पांच ही मिनट में आ गया।
दोस्तो.. मेरा नाम राकेश है। मेरी उम्र 21 साल की है। मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ और जो कहानी मैं आज आप लोगों को सुनाने जा रहा हूँ.. यह मेरी जिंदगी की एकदम सच्ची घटना है, आपसे विनती है कि थोड़ा समय देकर प्लीज़ इसे पूरा पढ़ें।
मेरी उम्र 22 साल है और फ़ेसबुक.. वी-चैट.. व्हाटसैप जैसी चीजों पर काफ़ी ध्यान लगाता हूँ। मैं पढ़ने में बहुत अच्छा हूँ और दिखता भी ठीक-ठाक हूँ। मेरी एक गर्ल-फ्रेंड थी.. जिसकी उम्र मुझसे केवल 7-8 महीने ही कम थी। हम दोनों एक ही स्कूल में जाया करते थे.. जहाँ से हमारी लवस्टोरी चालू हुई.. मेरी गर्ल-फ्रेंड का नाम नन्दिता है.. वो बहुत ही समझदार लड़की थी.. जो बातों को बहुत अच्छे से समझ जाती थी।
अब गुरूजी ने अपने लंड को मेरी योनि-द्वार पर रख दिया। मैं उनके चेहरे को निहार रही थी, मगर मेरा ध्यान योनि से सटे उनके लिंग पर था। मैं इंतज़ार कर रही थी कि कब उनका लिंग मेरी योनि की तृष्णा को शांत करेगा। उत्तेजना से मेरे भगोष्ठ अपने आप थोड़े से खुल गए थे।
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अभी तक की इस हिंदी सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा कि मैंने अपनी सबसे पहली गांड चुदाई से लेकर अब तक अपनी सारी दास्तान सभी अंकल लोगों को सुना दी थी.
लेखिका : नेहा वर्मा
मास्टरजी के घर से चोरों की तरह निकल कर घर जाते समय प्रगति का दिल जोरों से धड़क रहा था। उसके मन में ग्लानि-भाव था।
तूफानों में छतरी नहीं खोली जाती,
लेखिका- रुचिका
मेरे प्यारे दोस्तो.. जैसा कि मैंने आपको अपनी कहानी के पिछले भाग में बताया था कि कैसे मुझे एक गैर आदमी ने अपनी बाहों में जकड़ कर मेरी वासना को जगाया था.. और मुझे धकापेल चोदने लगा था।
दोस्तो.. मैं योगेश मैसूर से हूँ.. और आप सबके सामने एक चुदाई की कहानी प्रस्तुत करने जा रहा हूँ। मुझे उम्मीद है कि यह आपको अवश्य ही पसंद आएगी।
दोस्तो, आज मैं तुम को नये साल के टाइम पर मेरी पहली चुदाई की बात बताता हूं।
अभी दो महीने ही हुए थे कि मैंने अपने ससुर ताहिर अज़ीज़ खान जी को कुछ परेशान देखा।
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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार।
दोस्तो, मेरी कहानियों को जो आपने प्यार दिया और मुझे मेल किये उसके लिये धन्यवाद।
अन्तर्वासना के सभी पाठक-पाठिकाओं को मैं जी पी ठाकुर हृदय की गहराइयों से प्रणाम करता हूँ!
दोस्तो, पिछले भाग में आपने मेरी और रूचि की घमासान चुदाई पढ़ कर अपनी लौड़े जरूर हिलाए होंगे..
प्रिय दोस्तो, मेरा नाम विकास कुमार है. मैं मेरठ (उत्तरप्रदेश) का रहने वाला हूँ. अभी मैं अविवाहित हूँ. मेरा रंग सांवला है, कद 6 फुट है, मैं बहुत रोमांटिक हूँ. मैंने अभी बी.ए पास किया है.