कामदेव के तीर-5
मैं पलंग से उठा ही था तभी रजिया मेरे लिए चाय लेकर आ गई और मेज पर रख दी। मैंने पीछे से रजिया को दबोच लिया
मैं पलंग से उठा ही था तभी रजिया मेरे लिए चाय लेकर आ गई और मेज पर रख दी। मैंने पीछे से रजिया को दबोच लिया
इस हिंदी सेक्सी स्टोरी में मैं आपको हमारे खानदान की सबसे अन्दर की बात बताने जा रहा हूँ मेरे हिसाब से मैंने कुछ बुरा किया नहीं है हालांकि कई लोग मुझे पापी समझेंगे। कहानी पढ़ कर आप ही फ़ैसला कीजिएगा कि जो हुआ वो सही हुआ है या नहीं?
प्रेषक : हैरी बवेजा
प्रेषक : संदीप नैन
नमस्कार दोस्तो, मैं पिछले आठ सालों से अन्तर्वासना का पाठक हूँ, मैंने बहुत सेक्स कहानी पढ़ी हैं. अब अपनी लाइफ की एक घटना आप से शेयर करना चाहता हूँ.
दोस्तो, मैं रोमा आप लोगों के साथ कहानी के माध्यम से मैंने अपना सेक्स अनुभव शेयर किया था..’इंटर कोलेज कम्पीटीशन’ !
अब तक आपने पढ़ा..
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जब मैं दरवाजा बंद कर भाभी के पास गया तो भाभी ने मुझे अपने पास बुला लिया मैने देखा भाभी ने अपना ब्लाउज़ और ब्रा नहीं पहने हुए हैं, उनके गोरे-गोरे मम्मे ठीक निम्बु के आकार के हैं मैने भाभी से कहा इतने छोटे मम्मे में तो दूध ज्यादा नहीं होता होगा और छोटू का पेट भी नहीं भरता होगा? तो उन्होनें कहा नहीं ऐसी बात नहीं है मुझे यकीन ही नहीं आ रहा था तो उन्होनें कहा लो चेक कर लो, वो वहीं बेड पर लेट गई मैं उनके पास बेड पर झुक कर उनका दूध पीने लगा। ओह! उनका दूध तो वाकई मीठा था और दूध भी तेजी से निकल रहा था। भाभी के निप्पले भी तन गये थे अब मुझे अच्छा लग रहा था मैं भाभी के मम्मे तेजी से दबाने लगा भाभी भी आंख बंद कर न जाने क्या सोच रही थी, अब मैं भाभी से पूरी तरह सट गया और मेरे होंठ भाभी के होंठों से जुड़ गये, ये मुझे तब पता चला जब भाभी मुझे हटाते हुए अपने कपड़े ठीक करने लगी तभी मुझे छोटू के रोने की आवाज सुनाई दी। भाभी ने छोटू को उठा कर अपनी गोदी में ले लिया, हम वहीं बिस्तर पे बैठ कर बातें करने लगे, पता नहीं क्यों आज मुझे घर जाने का मन नहीं कर रहा था, तब भाभी ने कहा अब तुम जाओ अभी भैया आ जायेंगे, तुम कल जल्दी आना और ये सब तुम किसी से नहीं बताना।
प्रेषक : निखिल
अब तक की इस मस्ती भरी सेक्स कहानी में आपने पढ़ा था कि मैंने सुलेखा भाभी के गालों को चूमते हुए उन्हें अपनी बांहों में कस लिया था … जिससे उनके गाल तो क्या अब तो पूरा का पूरा चेहरा ही शर्म से सिन्दूरी सा हो गया.
राकेश
हैलो दोस्तो.. सभी पाठकों को मेरा सादर प्रणाम. मैं आपका संचित.. फिर से अपनी एक नई आपबीती के साथ हाजिर हूँ.
यह कहानी नहीं बल्कि मेरी सच्ची दास्तां है।
यह कहानी मेरे एक दोस्त इम्तियाज़ की है, उसी के शब्दों में पेश कर रहा हूँ !
जोरदार चुदाई की कहानी में पढ़ें कि कैसे मैं अपनी चूत में मची सेक्स की खलबली को अपनी भाभी के भाई के लम्बे लंड से शांत करवा रही थी.
हैलो दोस्तो.. मैं अन्तर्वासना पर लगभग रोज ही कहानियां पढ़ता हूँ। मैं पहली बार कहानी लिख रहा हूँ कोई गलती हो तो माफ़ कर देना।
चुदासी मम्मियों को और चोदू बेटों को मेरा नमस्कार. मैं कविता दुबे … मुझे आप सभी के बहुत सारे संदेश आये, धन्यवाद सभी पाठकों को.
सम्पादक जूजा
वो हुस्न की कोई परी नहीं थी। न ही वो मेरे उम्र की थी.. मुझसे सतरह साल छोटी उस लड़की को मैं कैसे और किस लिए पसंद आया.. ये मेरी समझ से बाहर है। उसका नाम था नीलम..
आरती के पापा से जॉब का आश्वासन पाकर मैं उनका थॅंक्स करते हुए आरती के साथ बाहर आ गई और वो मुझे अपने साथ पास ही किसी रेस्टोरेंट में ले गई.
कैसे हैं मित्रो… देरी के लिए माफ़ी चाहता हूँ, वैसे कसूर मेरा नहीं है, इस देरी की वजह है रेणुका जी और वंदना… उन दोनों की वजह से ऐसा व्यस्त हो गया हूँ कि अपनी कहानी आगे लिखने का वक़्त ही नहीं मिल रहा था।
भाभी की चूत का लाइसेंस मुझे मिल गया था वो मुझसे चुदवाने को आतुर रहतीं थीं।
मेरी पिछली कहानी को पढ़कर एक महिला मित्र ने मुझे मेल किया और मुझे उनकी एक कहानी और समस्या को लिखने का आग्रह किया, पर मैंने कहानी के बजाय उनकी कोई समस्या को लिखने के लिये बोला और कहा कि मुझे कहानी के बजाय ये ज्यादा अच्छी लगती है और सुझाव भी मिलते हैं।
सुशील ने कहा- भाभी, मैं घर हो आता हूँ! माँ को कह आता हूँ कि विनोद भैया के यहाँ कोई नहीं है, भाभी को डर लग रहा है तो मैं वहीं सो जाऊँगा।