चचेरे भाई ने मेरी चूत चोद दी
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Bahan Ke Sath Prem-leela-2
मेरी सेक्स कहानी के पहले भाग
दोस्तो, मैं अपूर्व शर्मा अपनी ज़िन्दगी की नई सेक्स कथा के साथ फिर हाज़िर हूँ। बहुत सारे लोगों ने मेरी पिछली कहानी ‘एक शाम अनजान हसीना के नाम‘ जो अन्तर्वासना डॉट कॉम पर प्रकाशित हुई थी, को बहुत सराहा है। मैं उन सब लोगों का दिल से आभारी हूँ।
हैलो साथियो, आप सभी को नमस्कार.
दोस्तो.. मेरा नाम पप्पू है, मैं महाराष्ट्र से हूँ।
हैलो.. कहानी पढ़ने वाली सभी लेडीज लड़कियों.. आप अपनी पैन्टी नीचे कर लीजिए और ब्रा से केवल एक चूची बाहर निकाल कर उसके निप्पल पर मेरे हाथ की उंगली समझ कर मेरी तरफ से उंगली फेरिए और एक हाथ की उंगली को अपनी बुर के द्वार के ऊपर रख लीजिए।
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आपने अब तक की कहानी में पढ़ा था सुखबीर की बीवी प्रीति मुझसे सेक्स को लेकर बातें कर रही थी.
सभी चूत वालियों को मेरे लण्ड का सलाम और सभी लण्ड वालों को मेरी गाण्ड का सलाम!
मैंने पूछा- क्यों नीलम रानी… तेरी देह शोषण का ड्रामा खेलने की मर्ज़ी हो गई पूरी और साथ साथ में आदि मानव की चुदाई की भी? आया मज़ा मेरी जान को?’
‘नहीं, मैं ये सब नहीं करूँगी, मैं यहाँ फोटो शूट करवाने आई थी और तुम्हारी बातों में आकर मैं तुम्हारे सामने नंगी तक खड़ी हो गई और अब तुम अपना लौड़ा चूसने के लिये कह रहे हो?’
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उसने मुझे अनुभूति के फ्लैट पर छोड़ आने की बात कह कर कार निकाली और हम चल दिए अनुभूति के घर की तरफ…
फरहान और मैं कमरे में आपी के इन्तजार में ब्लू-फिल्म देख रहे थे।
अगले दिन जब मैं कॉलेज से वापिस आया तब मुझे ऋतु आंटी सीढ़ियाँ उतरते हुए मिली तो बोली- अरे अनु, तेरी मम्मी कहाँ है? आज सुबह से दिखी नहीं और जब मैंने ऊपर जा कर देखा तो दरवाज़े पर ताला लगा हुआ है।
शहनाज़ खान
मैं 35 साल का 6″ लम्बा लंड हूँ। मेरा रंग गोरा है और मैं दिखने में सुन्दर हूँ।
प्रेम गुरु की कलम से
आपको तो पता ही है दिल्ली का मौसम! यहाँ सर्दी में कितनी सर्दी और गर्मी में कितनी गर्मी पड़ती है। और ऊपर से बारिश वो भी सर्दियों में! शामत ही आ गई समझो!
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हैलो दोस्तो, अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है मेरे अंदर भरी हवस की … यह मेरी सच्ची कहानी है. मेरे नाम के जैसा मेरा रूप नहीं था.. जिस कारण लड़के मुझे पसंद करना तो दूर, मेरी तरफ देखते भी नहीं थे. मेरे मोटे मोटे होंठ नीग्रो जैसे, काला रंग, खुरदुरा चेहरा… लोग मेरे मुँह को सुअर सुअर बोल कर मुझे चिढ़ाते थे. ये शब्द सुन कर सब मुझे बिल्कुल भी ठीक नहीं लगता था. मेरी उम्र 29 साल की हो गई थी. पर अब भी मैं बिल्कुल कुंवारी थी क्योंकि मैं बदसूरत थी. मेरा भी मन करता था कि कोई मेरे बड़े बड़े मम्मों को दबाए, मेरे होंठों को चूमे, मुझे घोड़ी बना कर या कुतिया बना कर पटक पटक कर जी भर के चोदे.
प्रेषक : रिशु
सभी पाठकों को नमस्कार!