ट्रक में चुद कर सुहागरात मना ली

ये बात तब की है, जब मैं 18 साल का था. मैं जयपुर में पढ़ता था. मैं हर दूसरे महीने अपने घर उदयपुर आ जाया करता था. कुल नौ दस घंटे का रास्ता था, तो दिन मैं चार बजे की बस पकड़ के बारह घर पहुंच जाया करता था.

भाई को सिड्यूस करके अपनी हवस पूरी की Real Sex Story

हैलो फ्रेंड्स, मैं आरती.. राँची से हूँ. अभी मैंने 12वीं क्लास की पढ़ाई कंप्लीट की है. मुझे अन्तर्वासना की कहानियाँ पसंद हैं, मैं अन्तर्वासना की कामुक कहानियां बहुत पहले से पढ़ रही हूँ. इन कहानियों को पढ़ कर मेरी चुत गीली हो जाती है और इसके बाद मैं अपनी चुत चुदवाने के लिए कुछ भी कर सकती हूँ.

जोर लगा के पेलो

मैं एक नए शहर में जब अकेले घूमने निकला तो मैं चलते चलते एक वेश्याओं की गली में पहुंच गया। मैंने देखा कि बहुत सी लड़कियाँ छोटे छोटे मकानों के सामने खड़ी थी। मैंने समझा कि सभी किसी त्यौहार की तैयारी करके कहीं जाने की तैयारी कर जा रहे होंगी। सभी सजे धजे थे । मुझे कुछ समझ न आया और आगे बढ़ता चला गया। गली में पहुंच कर देखा कि वहाँ सभी इशारों में बुला रहे थे। मैंने देखा कि एक आंटी मुझे बुला रही है। तो मैंने सोचा कि शायद आंटी को किसी प्रकार की मदद चाहिए।

तजुर्बा

संता नौकरी के लिए इंटरव्यू देने गया।

गलती की सज़ा में मज़ा-2

पैंटी के उतरते ही बिना समय गंवाए ननदोई जी मेरे ऊपर आकर मेरी टाँगों के बीच में लेट गए।

चूत शृंगार-2

भैया ने ब्लाउज खुला रखने को कहा था इसलिए मैंने पल्लू से भी पूरी तरह नहीं ढका। मेरी समझ में यह नहीं आ रहा था कि मुझे कौन ज्यादा ताड़ रहा है, भाई या वो मर्द। वो मर्द मुझे ज्यादा भाने लगा, सोचा उसको आँखों में बसा लेती हूँ रात को उसी को याद कर के उंगली लूंगी और चुदने का मजा लूँगी।

सौतेली मॉम की चुदाई -2

उनके इतना कहते ही मैंने उनकी चूत की सेवा शुरू कर दी और उनकी मस्त चूत को चूमने, चाटने और चूसने लगा।

माँ-बेटी को चोदने की इच्छा-12

माया मेरे सख्त लौड़े को पुनः अपने मुलायम होंठों में भरकर चूसने लगी और कुछ ही देर में एक ‘आह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह’ के साथ मेरा गर्म लावा उसके मुँह में समा गया जिसे माया बड़े ही चाव से चखते हुए पी गई और आँख मारते हुए बोली- कैसा लगा?

लाजो का उद्धार-3

एक एक हुक खुलता हुआ ऐसे अलग हो जाता था जैसे बछड़ा बंधन छूटकर भागा हो। सारे हुक खोलकर उसने पीठ से ब्लाउज के दोनों हिस्सों को फैला दिया। गोरी पीठ सफेद ब्रा के फीते की हल्की-सी धुंधलाहट को छोड़कर जगमगाने लगी। दोनों तरफ बगलों से चिपके ब्लाउज के पल्ले उलटकर अपने ही भार से उसकी त्वचा से अलग होने लगे। रेशमा ब्रा के फीते में उंगली फँसाकर खींची, “बाप रे, कितना टाइट पहनती हो !” कहते हुए उसने ब्रा की हुक भी खोल दी।

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