Indian Sex Story – कामना की साधना-7
मैंने अपना एक हाथ बाहर निकला कर ऊपर किया और तर्जनी उंगली धीरे से कामना की गुदा में सरकाने की कोशिश की। ‘आह…नहीं…’ की आवाज के साथ वो कूद कर आगे हो गई, ओर मेरी तरफ देखकर बोली- आप इतने बदमाश क्यों हो?’
मैंने अपना एक हाथ बाहर निकला कर ऊपर किया और तर्जनी उंगली धीरे से कामना की गुदा में सरकाने की कोशिश की। ‘आह…नहीं…’ की आवाज के साथ वो कूद कर आगे हो गई, ओर मेरी तरफ देखकर बोली- आप इतने बदमाश क्यों हो?’
सुनीता की शादी होने के बाद एक बार फिर से मैं तन्हा हो गया था, मैं चाहकर भी सुधा या सुनीता से नहीं मिल सकता था क्योंकि मैं नहीं चाहता था मेरी वजह से उनको कोई परेशानी हो इसी तरह से मेरे दिन कट रहे थे। पर मेरे नसीब में तो कुछ और ही लिखा था, सुनीता की शादी के 2 महीने बाद ही मेरे साथ एक और रोमांचकारी घटना घटी, इस घटना को अपने शब्दों में पिरो कर एक बार फिर मैं आपके सामने आया हूँ।
रवीश सिंह
प्रेषक : दीवाना “अजनबी”
प्रेषक : नीरज़ गुप्ता
कहानी : अनुष्का शर्मा
अन्तर्वासना के सभी पाठको को नमस्कार !
ऐशु रानी मन्त्रमुग्ध सी हमें देख रही थी, जैसे ही हमारी नज़रें चार हुईं रानी ने मुंह नीचे कर लिया, वो अभी भी शर्मा रही थी।
देसी कहानी का पिछला भाग : रिश्तेदारी में आई लड़की को पटा कर चोदा-1
नमस्कार दोस्तो, अन्तर्वासना पर ये मेरी पहली लिखी हुई कहानी है. मेरा नाम मुदित है और ये मेरी और मेरी मकान मालकिन के साथ चूत चुदाई की कहानी है. चूंकि इस मंच पर ये मेरी पहली कहानी है, तो यदि किसी भी प्रकार की कोई त्रुटि हो जाए, तो आप सभी मुझे माफ़ कर दीजियेगा.
पूस की सर्द रात थी, कभी-कभी बाहर हाड़ को कंपा देने वाली बर्फीली हवाएँ पत्तों से टकरा कर रात की नीरवता को चीरती हुई डरावनी शोर उत्पन्न कर रही थी, यह शोर किसी बेबस की चीत्कार सी लग रही थी। यह भयावह शोर मेरे भीतर एक अनजानी सी सिहरन पैदा कर रहा था।
एक लड़की जिसका नाम कुसुम केशरवानी था, अभी वो अमेरिका में रहती है, शादीशुदा है पर वो इलाहाबाद से करीब 30 किलोमीटर दूर एक गांव की रहने वाली थी।
प्रेषिका : शालिनी
दोस्तो, आपने अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर मेरी पिछली कहानी पापा के साथ समलैंगिक सम्बन्ध में पढ़ा कि कैसे मैंने अपने पापा को उत्तेजित किया। अब आगे की कहानी पढ़िए..
अब तक आपने पढ़ा..
नमस्कार मित्रो, मैं परीक्षित… आपने प्रदीप जी की समस्या
फिर हम लेटे लेटे बात करने लगे, मैंने कहा- कल और मजा आएगा, कल सुशील भी आ जायेगा।
कॉलेज में हड़ताल होने की वजह से मैं बोर हो कर ही अपने घर को कानपुर चल पड़ा. हड़ताल के कारण कई दिनो से मेरा मन होस्टल में नहीं लग रहा था. मुझे माँ की बहुत याद आने लगी थी. वो कानपुर में अकेली ही रहती थी और एक बैंक में काम करती थी. मैं माँ को आश्चर्यचकित कर देने के लिये बिना बताये ही वहाँ पहुँचना चाहता था.
कुछ दिनों बाद मैं कनाडा पहुंच गई, पर वहाँ एयरपोर्ट पर पहुंचते ही मेरी अन्तर्वासना फिर से जाग उठी क्योंकि लुइस मेरा मेरी प्रतीक्षा कर रहा था।
मित्रो, कैसे हैं आप…
मैं एक कॉलेज में तैराकी का प्रशिक्षक था, मेरा काम लड़कियों को तैराकी का प्रशिक्षण देना था।
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मेरी बुर उमा की चुदाई देखकर बुरी तरह गरम हो गई थी। मैं वापस आकर लेट गई कुछ देर और चुदवाने के बाद उमा भी वापस आकर सो गई।
अंजलि- अब आप जल्दी से मुझे वो दो जो मैं चाहती हूँ आपसे!