ननद को अपने पति से चुदवाया-1 Bhai Behan Ki Chudai Story
हाय दोस्तो, मेरी यह स्टोरी भाई बहन सेक्स की है यानि भाई बहन की चुदाई की…
हाय दोस्तो, मेरी यह स्टोरी भाई बहन सेक्स की है यानि भाई बहन की चुदाई की…
मुम्बई के एक एरिया में एक भाई रहता था, उस एरिया के सभी लोग उसे गबरू भाई कह कर बुलाते थे, उसक इलाके में उसी की हुकूमत चलती थी। उस एरिया में जो भी लफड़ा होता था, पुलिस से पहले उसे गबरू भाई की अदालत में ले जाया जाता था।
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अब तक आपने पढ़ा..
अब तक आपने पढ़ा..
मैं रॉनी पटेल.. एक अभी एक 20 साल का एक स्मार्ट यंग लड़का हूँ। मेरे लंड का साइज़ काफ़ी बड़ा, एकदम हार्ड और बहुत मोटा है।
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माला चित होकर लेट गई, मैंने उसे उसी तरह डिल्डो से चोद दिया जैसे मैं खुद चुदी थी।
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नमस्ते दोस्तो, मैं विशाल कड़ेला एक बार फिर अपनी दूसरी चुदाई की स्टोरी लेकर आपके बीच में हाजिर हूँ. मेरी उम्र 20 साल, मेरा कद 5 फुट 11 इंच है.. रंग मध्यम है.. मै थोड़ा भारी हूँ या यूँ कहूँ कि भरा पूरा हूँ। मेरे सेक्सी बदन को देखकर लड़कियाँ मुझे पसंद करती हैं। और मैं बी ए के सेकंड ईयर में पढ़ता हूँ. मैं पश्चिमी हरियाणा का रहने वाला हूँ.
दोस्तो, आज आपके लिए पेश है, आप जैसे ही मेरे एक पाठक की सच्ची कहानी, जो उसने खुद मुझे बताई।
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मेरा नाम नूर है, घर में प्यार से मुझे सब नूरो कहकर बुलाते थे।
मेरा नाम कामिनी है और मैं 42 साल की शादीशुदा.. दो बच्चों की माँ हूँ। उम्र के इस पड़ाव में आकर मेरे अन्दर कुछ परिवर्तन आए हैं। अब मुझे 17-18 साल के लड़के अच्छे लगने लगे हैं। वैसे तो पति और मेरे बीच महीनों में कभी-कभार सम्भोग हो जाता है और ज्यादा कोई इच्छा भी नहीं रही.. पर जवान लड़कों को देखती हूँ.. तो ना जाने क्यों मुझे चूत चुदवाने का दिल करने लगता है।
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प्रेषक : विजय
कामपिसाची का मतलब है- बहुत ज्यादा सेक्स की प्यासी..
कहानी का पहला भाग: जुदाई ने मार डाला-1
सुबह के करीब 10 बजे थे, लेकिन भाभी की चुदाई के बाद मुझे नींद सी आ रही थी, मैं एक बार फिर से सो गया।
दोस्तो.. मैं रोशनी हूँ. मैंने एक बार एक अजनबी लड़के से अपनी चूत की चुदाई करवा ली.
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इंग्लिश की क्लास में चुदाई की पढ़ाई-1
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दोस्तो, मैं रवीश कुमार, आप सब लोगों ने मेरी पिछली कहानी
परिवर्तन ही सृष्टि का दस्तूर है। मगर हममें से अधिकांश लोगों का बचपन से ऐसी धारणा होती है कि दुनिया स्थिर और स्थाई है, जिसमें परिवर्तन एक दुखदायी अनुभव है। सब रोजमर्रा के काम हम अपनी आदतों के वशीभूत बिना सोचे समझे आसानी से कर लेते हैं। हमें अपनी पुरानी आदतों को छोड़ना और उनमे परिवर्तन करना जोखिम भरा लगता है। बदलना हमें बहुत कठिन और असहज भी लगता है इसलिए हम नयी राह पर चलने में हिचकते हैं।