प्यासी चूत प्यासा लण्ड
मेरा नाम आलम है, मैं अलीगढ़ का रहने वाला हूँ, आपको अपनी एक सच्ची घटना के बारे में बताने वाला हूँ।
मेरा नाम आलम है, मैं अलीगढ़ का रहने वाला हूँ, आपको अपनी एक सच्ची घटना के बारे में बताने वाला हूँ।
फार्म हाउसला आम्ही पोहचलो तेव्हाच दृश्य तुम्हाला वाचून माहित असेलच. सदाने जणू राखीला आपल्या लवड्याच्या झुल्यावर बसवले होते. तिचे दोन्ही थान त्या प्रकारामध्ये गदगद हलत होते. राखी सित्कारून त्याचे खाली बसणारे ठोके सहन करत होती. सदा तसाच राखीला घेऊन फार्महाउस मध्ये गेला. तिथे तिला बेडवर टाकून त्याने तिच्या फोद्यावर असा काही हल्ला चढवला कि तिथे हजर असणार्या सार्यांचा उत्तेजना एकदम वाढल्या . अचानक त्या दिवाणखान्यात आह, स्स्स, बापरे, आणखी आत टाक, फाड रे सालीला,भडव्या गांड मार न माझी, ये आता आत, अशा प्रकारच्या उद्गाराची लाटच आली .
कुछ देर में वो झर गया और सारा माल मेरे मुँह में ही छोड़ दिया और मैं सारा वीर्य पी गई।
मेरे मुख से तो आवाज ही नहीं निकल रही थी।
प्रेषक : उमेश
कहानी का पहला भाग: मौसेरी बहन की चूचियों का दूध और चूत का पानी-1
दोस्तो, मैं प्रेम आपको अपनी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ! कहानी है मेरी और मेरी माँ की! मैं अभी 24 साल का जवान मर्द हूँ और मेरे लंड का साइज़ 7 इंच, 3 इंच मोटा है।
दोस्तो, मेरा नाम अनिल है.. मेरे यौवन जीवन की शुरूआत मेरी गाण्ड मरवाने से ही हुई।
अन्तर्वासना के पाठकों को मनु शर्मा का अभिवादन।
प्रिय पाठको, आपको मेरा नमस्कार.. आज पहली बार मैं अपनी वो कहानी आपसे साझा कर रहा हूँ जिसने मुझे झंझोड़ कर रख दिया था।
मैंने अपना सुपारा दो तीन बार वत्सला की चूत से घिस कर उसकी चिकनाई से चिकना किया और छेद पर लगा कर धकेल दिया भीतर और आहिस्ता आहिस्ता चोदने लगा उसे… साथ ही उसके कूल्हों पर थपेड़े लगाते हुए उसे चोदने लगा।
साढ़े दस बजे बिमलेश की मिसकॉल आई तो मैंने हिम्मत को कॉन्फ्रेन्स में लेकर बिमलेश को फोन किया।
मेरी भाबी सेक्स स्टोरी पढ़ने वाले सभी साथियों को नमस्कार। दोस्तो आज मैं भी अपनी एक कहानी आप सब लोगों को बताने जा रहा हूँ। अपनी ये कामुक कहानी सुनाने से पहले मैं आपको ज़रा अपने बारे में बता दूँ। मेरा नाम आलोक है और मैं दिल्ली में रहता हूँ। मेरी उम्र 24 साल है, मेरा लंड 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है।
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तन के मिलन की चाह बडी नैसर्गिक है। सुन्दर स्त्री की देह से बढ़कर भ्रमित करने वाला और कुछ पदार्थ इस संसार में नहीं है। मेरे पिता ईसाई, माता हिन्दू ! मुझ पर हिन्दू संस्कारों की छाया अधिक पड़ी। मेरा विवाह मेरी मां की पसन्द के एक हिन्दू घराने में हुआ। पत्नी यौवन में नव दाम्पत्य के दिनों में सभी को बहुत भाती है और सर्वांग सुन्दरी लगती है। कालांतर में मुझे दूसरी स्त्रियां भी आकर्षित करने लगी। विवाह के बाद दूसरी स्त्रियों से बात कर लेने में कोई शक़ भी नहीं करता है।
प्रेषक : ए के
जूली- चलो छोड़ो ! अच्छा यह बताओ कि राजा बाबू अभी तक मौसी को चोद रहे हैं क्या? और जाहिदा भी नहीं दिखती?
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प्रेषक : आकाश
प्रेषक : नितिन गुप्ता
सम्पादक जूजा
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अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज के सब पाठकों को मेरा नमस्कार, मैं करण फिर से एक घटना लेकर आपके सामने प्रस्तुत हुआ हूं. मेरी पुरानी कहानी
सोनी ने अपनी जींस उतारी तो मैंने उसे टॉप भी खोलने को कहा तो वो बोली- टॉप क्यों?
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