समुन्दर का किनारा
लेखिका – नेहा वर्मा
लेखिका – नेहा वर्मा
मेरा नाम गुरतेज सिंह है, मैं कुछ दिन पहले ही अपनी पढ़ाई पूरी करके अहमदाबाद से भाई के पास लुधियाना आया हूँ।
सुबह आठ बजे करीब रचना ने मुझे उठाया तो वो नहा धोकर कपड़े पहन कर तैयार हो चुकी थी और अपने और मेरे लिये चाय लिये हुए थी।
हैलो पाठको, मेरा नाम नेहा है. मैं आज आप सबके सामने अपनी एक कहानी बता रही हूँ.. जो मेरी आप बीती कहानी है. मुझे लगता है कि मेरी ये कहानी आप लोगों को बहुत पसंद आएगी.
जब वेटर रूकता तो पापाजी मेरी गांड को ठोकते और जब पापा जी रूकते तो वेटर मेरी चूत की बैंड बजाता, फिर दोनों ने अपना वीर्य मेरे पेट पर गिरा दिया।
मैं करीब 10 मिनट तक उन्हें चुम्बन करता रहा और करीब आधे घंटे तक हम दोनों एक-दूसरे के शरीर को चूमते रहे।
अब तक आपने पढ़ा..
सम्पादिका : तृष्णा
मैं अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूं कि मैंने अपनी मामी को चोदा और उनको चोद कर अपनी सेक्स की प्यास बुझाई. मेरा नाम भावेश है, मैं 30 साल का हूँ.
मेरा नाम सनी है, हमारा गाँव छोटा सा है. मेरे घर के सामने दीक्षा नाम की एक लड़की रहती है. बड़ी कमाल की है वो चिड़िया. चलते समय उसकी गांड बहुत सेक्सी ऊपर नीचे होती है. उसका सीना देखते ही मेरे तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं. वो लगभग पांच फीट ऊँची होगी. मैं तो उसका आँखों से ही चोदन करता रहता हूँ. उसको बिस्तर में इस्तेमाल करने की बड़ी आस मन में हमेशा से थी, है, और रहेगी.
हैलो साथियो, आप सभी को नमस्कार.
नमस्कार दोस्तो, कैसे हो आप सब… माफ़ करना बहुत टाइम बाद वापस आई हूँ. तो प्लीज़ मुझे बताना कि आप सबका काम मेरे बिना कैसे चला… सब मज़े ले रहे हो ना?
हेलो दोस्तो !
दोस्तो, वैसे तो मेरी कहानी के शीर्षक ने ही आपको बता दिया है कि कहानी किस विषय से संबन्धित है पर यह एक सच्ची बात है जो पिछले महीने ही मेरे साथ घटित हुई है।
प्रेषक : हॉटमैन
Uski Girlfriend Mere Laude ki maal bani
आपने मेरी कहानी के दो भाग पढ़े।
प्रेषिका/प्रेषक ?: पुष्पा सोनी/संजय ?
अपने सभी पाठकों का धन्यवाद.. मेरी कहानी पसंद आई और सैकड़ों मित्रों ने मुझे पत्र लिखा। आप सबका हृदय से धन्यवाद।
हैलो साथियो.. मेरा नाम रोहन (बदला हुआ) है, पंजाब के जालंधर शहर में रहता हूँ, मैंने अभी ग्रॅजुयेशन कंप्लीट की है और जॉब ढूँढ रहा हूँ।
सबसे पहले अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज साईट का धन्यवाद लोगों के बिस्तर में खेले जाने वाले जायज़ और नाजायज़ संबंधों को हम लोगों के समक्ष जाहिर करने के लिए!
मुझे तो पता था कि वो पुस्तक मेरी है, तो मैंने ढूंढने का प्रयास किया कि छोटी ने और क्या छुपाया, तब मुझे रोहन का आठ पृष्ठों की चिट्ठी मिली, जिसे पढ़ कर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई, आँखों से आँसुओं की बरसात होने लगी। मैं सीना पीट-पीट कर रोने लगी। मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया, मैं बेहोश होने लगी।
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प्रेषक : रणजीत चौहाण