तीन पत्ती गुलाब-38
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मम्मी की भड़कते जिस्म को देख मेरा मन उत्तेजित हो हरेक रात उनकी दमदार चुदाई के सपने देखने लगा हालांकि उससे दोगुना मजा उनकी असल चुदाई करके मैंने महसूस किया।
मेरा नाम समीर है, मैं 30 साल का हूँ. यह घटना उस समय की है जब मैं 18 साल का था. मेरी हिंदी चुदाई स्टोरी में दो लोग हैं, एक मैं और दूसरी मेरी टीचर प्रिया!
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फेसबुक पे सखीयन ने जबरन मेरा दिया दिया खुलाय,
Kamsin Kamini Ki Chudai Ka Maja
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दोस्तो.. मेरा नाम शीतल है और मैं एक बड़ी कंपनी में काम करती हूँ। मैं एक अन्तर्वासना की पाठक हूँ.. तथा हर रोज़ इस वेबसाइट पर कहानियाँ पढ़ती हूँ।
प्यारे दोस्तो, मेरा नाम वीरू, बीस साल का हूँ। मैं कॉलेज के प्रथम वर्ष में हूँ। मैं एक मध्यवर्गीय परिवार से हूँ। मैं शर्मीले स्वभाव का सीधा सा दिखने वाला लड़का हूँ, राजस्थान के श्री गंगानगर में रहता हूँ।
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मेरा नाम राहुल है मैं कटनी का रहने वाला हूँ.
प्रेषक : सचिन शर्मा
प्रेषक : हैरी बवेजा
अब तक की कहानी में आपने पढ़ा कि मैंने सलोनी का विश्वास जीत कर उसके जिस्म के साथ खेलना शुरू कर दिया. जैसे-जैसे उसके जिस्म से कपड़ों की परत उतर रही थी मेरे लंड का तनाव हर पल और ज्यादा बढ़ता जा रहा था. ऐसा काला हुस्न मैंने आज तक नहीं देखा था और मैं हैरान था कि किसी लड़के ने आज तक उसको भोगने की कोशिश क्यों नहीं की.
नया शहर और नोटबंदी…
दोस्तो, मैं जय फिर से आप सभी के समक्ष एक नई सत्य दास्तान पेश करने जा रहा हूँ। मेरे द्वारा पूर्व में लिखी सत्य घटना पर आधारित कहानी
मेरे प्यारे दोस्तों और अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार. मेरा नाम नक्श कुमार है और मैं हरियाणा में रहता हूँ. मैं एक का आम सा दिखने वाला शहरी लड़का हूँ. रंग गेहुंआ, कद साढ़े पांच फुट है.
मैं जावेद को उत्तेजित करने के लिये कभी-कभी दूसरे किसी मर्द को सिड्यूस करने लगती। उस शाम तो जावेद में कुछ ज्यादा ही जोश आ जाता।
अब तक की इस सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा था कि पूजा की छोटी सी बुर संजय का मोटा लंड सहन नहीं कर पाई और वो चिल्ला पड़ी.
भाभी की चुदाई की इस कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मैं अपनी रशीयन पत्नी को लेकर अपने माता पिता के पास भारत आया तो घर पर मेरे बचपन का दोस्त राजू आया हुआ था, वह मेरी रशियन बीवी के बारे में सुन कर मुझसे और मेरी बीवी से मिलने के लिए आया था।
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जब सोनिया ने मेरी बात सुनी तो वो बोली- हाँ, माँ के लौड़े! तुझे तो मैं इतनी गालियाँ बकूँगी हरामी कि तेरी माँ चुद जाएगी साले।’
सम्पादक – जूजा जी
हाय. आय ऍम सोनिया. इससे पहले कि आप ये स्टोरी पढ़ें, आपको इसका भाग १ पढ़ना जरूरी है। ये स्टोरी जहां रुकी थी मैं वहीं से शुरु करती हूं।
प्रेषक : विकास कुमार