चचेरी भाभी की रसीली चूत
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार।
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार।
दोस्तों मेरा नाम लव कुमार, आयु 26 वर्ष, उत्तर प्रदेश से हूँ।
पिछले तीन दिनों की व्यस्तता के बाद भी आज मेरे चेहरे पर थकान का कोई भाव नहीं था आखिर आज मेरे घर मेरी स्वप्न सुन्दरी यानि ड्रीम गर्ल जो आने वाली थी।
प्रेषक : संजय शर्मा, दिल्ली
मुंबई में, सुना था कि सबसे बड़ी समस्या मकान की होती है इसलिए मैंने अपने कई आफिस के लोगों से कह रखा था कि कोई ढंग का सस्ता सुंदर 1 से 3 कमरों का सेट मेरे लिए खोजें।
इमरान
मैं ड्राइवर को रास्ता बताती गई, घर ज़्यादा दूर नहीं था, पांच ही मिनट में आ गया।
मैं आज आपको एक रंडी की चुदाई की कहानी बता रहा हूँ कि कैसे मैंने इलाहबाद में रेड लाईट एरिया मीरगंज में एक रंडी की चूत की चुदाई की.
लेखिका : कामिनी सक्सेना
जूही परमार
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार! मैंने यहाँ पर बहुत सारी हिंदी सेक्स स्टोरी पढ़ी हैं और बहुत बार मुठ भी मारी है.
मूल लेखक : आलोक
एक कॉलेज़ की बहुर सारी लड़कियाँ शरारत करने के लिए अपने होटों पर लिपस्टिक लगाती थी और बाथरूम में जाकर वहाँ लगे शीशे पर अपने होटों के निशान छोड़ देती !
हम दोनों आमने-सामने बैठे थे, मैंने चुपचाप सर झुकाये खाना खाया और बेडरूम में आकर अपनी किताब ले कर बैठ गया। थोड़ी देर बाद चाची भी आ गई और एक मैगज़ीन लेकर मेरे पास बैठ गई।
ख्वाहिशें सच में बहुत अजीब होती हैं। अन्तर्वासना पर लेखकों की ख्वाहिश कि बस लड़कियों के ढेर सारे मेल आयें और दिन रात मैं सम्भोग के असीम पलों का आनन्द लेता रहूँ..
ईश्वर सबसे बड़ा रचयिता है, उसके कला कौशल की कोई सीमा नहीं है. कितनी तरह के पेड़ पौधे, कितनी तरह के जीव जंतु, कितनी तरह के मनुष्य. सभी के रंग रूप अलग अलग. न कोई कलाकार परमपिता की बराबरी कर सकता है और न ही कोई कंप्यूटर उसके बराबर रचना कर सकता है. मनुष्य की रचना भी कितनी पूर्णता के साथ की. देखने के लिए आँखें हैं, खाने के लिए मुंह है, चलने के लिए पैर हैं. कार्य करने के लिए हाथ हैं और सृष्टि के संचालन के लिए यौनांग हैं. ईश्वर के द्वारा बनाई गयी कोई भी वस्तु निरर्थक नहीं है.
मेरा नाम विजय है, 24 बरस का हूँ। शहर में मेरी मौसी रहती थी, मौसाजी की किरयाने की दुकान थी, थोड़ा बहुत होलसेल का काम भी था।
लेखिका : यशोदा पाठक
नमस्कार दोस्तो, मैं आप सब का दिल से धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने मेरी कहानी को बहुत पसंद किया।
प्रेषिका : कमलेश
प्रेषक : जवाहर जैन
या सर्व पकारात एक गोष्ट मात्र हिच्या लक्षात आली नव्हती. ती म्हणजे या खुलाश्यामुळे माझ तिच्यावरच प्रेम द्विगुणीत झाल होत. कारण मुक्त सेक्स हा माझाच फंडा होता. ग्रुपमध्ये हा विचार मांडण्यासाठी मला जे भगीरथ प्रयत्न करावे लागले, ते मलाच माहित होते. कारण मला निरनिराळ्या स्त्री देहांना भोगण्याची आवड होती. पण त्यात एक मेख होती. माझा लवडा पैसे देवून बोलावलेल्या कुठल्याही रांडेकरता कधीच उठत नव्हता. त्याला चूत पाहिजे होती, पण ती रांडेची नाही तर एखाद्या घरगुती बाईची. कारण तो लवडा होता. हेपण्याचे मशीन नाही.
दोस्तो.. मैं गुड़गाँव में कमरा लेकर रहता हूँ.. मेरे साथ मेरे दोस्त रहते हैं, वो सारे जॉब करते हैं और मैं किसी कोर्स के लिए यहाँ रहता हूँ।
शाहरूख खान
दोस्तो! मुझे लगता है मैं कोई पिछले जन्म की अभिशप्त आत्मा हूँ। पता नहीं मैं अभी तक अपनी सिमरन को क्यों नहीं भूल पा रहा हूँ? सच कहूं तो मिक्की, पलक, अंगूर, निशा, सलोनी और अब गौरी, मीठी या सुहाना में कहीं ना कहीं मुझे सिमरन का ही अक्स (छवि) नज़र आता है। जब भी मैं सुतवां जाँघों के ऊपर कसे हुए नितम्ब देखता हूँ मुझे बरबस वह सिमरन की याद दिला देती है।