बुआ-भतीजी का चूत युद्ध
Bua Bhatiji Ka Choot Yuddh
Bua Bhatiji Ka Choot Yuddh
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा कामवासना भरा नमस्कार।
अब तक आपने पढ़ा..
हैलो डार्लिंग…
प्रेषक : हैरी बवेजा
दोस्तो, मेरी सेक्स कहानी मेरी और मेरी माँ के बीच की है. मेरे मेरी माँ के साथ सेक्स सम्बन्ध कैसे बन गए, यह मैं आपको बता रहा हूँ मां की चुदाई की इस कहानी में!
मैं श्रेया आहूजा फिर से आपके सामने पेश हूँ किशोरावस्था की एक गाथा लेकर..
मैंने हिंदी में देसी चुदाई की कहानी की बेस्ट साईट अन्तर्वासना की कई सेक्स स्टोरी पढ़ी हैं. मैंने सोचा कि मैं अपनी भी कहानी लिख कर आप सभी से साझा करूँ.
नमस्कार साथियो,
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यह कहानी मेरे मकान मालिक के बड़े भाई जो मेरे वाले ही मकान में रहते हैं.. उनकी शादीशुदा छोटी बेटी रेखा की चुदाई की है।
पर-पुरुष सम्मोहन से आगे:
दोस्तो, मैं कुणाल.. अब तक आपने पढ़ा कि मैं भाभी जी को बाथरूम के रोशनदान से देख रहा था।
प्रेषिका : शिल्पा त्रिपाठी
इमरान सलोनी ने दरवाजा खोला- ओह आप आ तो गए… क्या हुआ प्रणव भैया ??? उसने सलोनी को देख एकदम से गले लगाया और उसके गाल को चूमा… प्रणव हमेशा ऐसे ही मिलता था… विदेशी कल्चर… और उसकी पत्नी रुचिका भी… उसने नजर भरकर सलोनी को देखा… प्रणव- वाह सलोनी… आज तो मस्त सेक्सी लग रही हो… सलोनी- अरे रुचिका कहाँ है भैया… प्रणव- अरे क्या कहूँ हम दोनों यहीं आ रहे थे… कि रुचिका के मॉम-डैड का फ़ोन आ गया… वो कहीं जा रहे थे… मगर कुछ इमर्जेन्सी हो गई… तो अभी आधे घंटे बाद उनका प्लेन यहीं आ रहा है… हम दोनों उनको ही लेने जा रहे हैं… सॉरी यार फिर कभी जरूर आएंगे… मैं- अरे यार एकदम… ये सब कैसे? प्रणव- यार फिर बताऊंगा… मुझे तो इस पार्टी को मिस करने का बहुत दुःख है… अच्छा यार ज़रा जल्दी में हूँ… माफ़ कर दो… तुम दोनों मुझको… उसने एक बार फिर सलोनी को अपने गले लगाया… इस बार मैं पीछे ही था, मैंने साफ़ देखा उसके बायाँ हाथ सलोनी के चूतड़ों पर था… फिर वो तेजी से बाहर को निकल गया… मैं भी जल्दी से बाहर को आया… उसको सी ऑफ करने के लिए… मैं उसके साथ ही नीचे आ गया… रुचिका को भी एक नजर देखने के लिए… रुचिका उसकी महंगी कार में ही बैठी थी… मैं उसकी ओर गया… उसने तुरंत दरवाजा खोला… रुचिका ने पिंक मिनी स्कर्ट और टॉप पहना था… जैसे ही वो नीचे उतरने लगी… उसके बायाँ पैर जमीन पर रखते ही… उसकी स्कर्ट ऊपर हो गई… और दोनों पैर के बीच बहुत ज्यादा गैप हो गया… मुझे उसकी नेट वाली लाल कच्छी दिखी… मेरी नजर वहीं थी कि… रुचिका- ओह अंकुर एक मिनट… मैं सॉरी बोल पीछे हटा… रुचिका ने बाहर आ मेरे सीने से लग गाल को हल्का सा चुम्बन किया… मुझे प्रणव की हरकत याद आ गई… मैंने भी अपना बायाँ हाथ रुचिका के चूतड़ों पर रखा… ओह गॉड मेरी किस्मत… मेरी उँगलियों को पूरी तरह से नंगे, मक्खन जैसे चूतड़ों का स्पर्श मिला… बैठने से रुचिका की स्कर्ट पीछे से सिमट कर ऊपर हो गई थी… और उसने शायद लाल टोंग पहना था… जिससे उसके चूतड़ के दोनों उभार नंगे थे… मेरी उँगलियाँ खुद ब खुद उसके चूतड़ों के मुलायम गोश्त में गड़ गई… मैंने भी रुचिका के गाल पर चुम्मा लिया… और जब गाड़ी में देखा तो प्रणव ड्राइविंग सीट पर बैठ गया था… और वो मेरे हाथ को देख कर मुस्कुरा रहा था… मैंने जल्दी से रुचिका को छोड़ा और पीछे हट गया… रुचिका- सॉरी प्रणव… फिर बनाएँगे यार प्रोग्राम… अब तुम दोनों आना हमारे घर… मैं- कोई बात नहीं… ये सब भी देखना ही था… ठीक है… रुचिका घूमकर गाड़ी में बैठने लगी… उसने अभी भी अपनी स्कर्ट ठीक नहीं की थी… उसके चूतड़ों की एक झलक मुझे मिल गई… ना जाने मुझमे कहाँ से हिम्मत आ गई… मैंने रुचिका को रोका और उसकी स्कर्ट सही कर दी… रुचिका- क्या हुआ अंकुर।?? मैं- अरे या… स्कर्ट ऊपर हो गई थी… रुचिका- ओह… थैंक्स… प्रणव- हा हा हा… रुचिका आज… सलोनी तुमसे कहीं ज्यादा सेक्सी लग रही थी… रुचिका चिढ़कर- …तो नीचे क्यों आ गए… वहीं रुक जाते ना… मैं अंकुर के साथ चली जाती हूँ… प्रणव- ओह यार… मैं तो तैयार हूँ… क्यों अंकुर…?? मैं- हाँ हाँ… ठीक है… सोच ले… मुझे भी उनके सामने कुछ बोल्ड होना पड़ा… प्रणव ने गाड़ी स्टार्ट की- ..चल अच्छा फिर कभी सोचेंगे… वरना इसके पापा सोचेंगे… कि यार मेरी बेटी का पति कैसे बदल गया… और मैं उन दोनों को विदा कर ऊपर आ गया… दरवाजा खुला था… मैं अंदर गया… मधु हमारे बैडरूम के दरवाजे पर खड़े हो चुपचाप अन्दर झाँक रही थी… मैं चुपके से वहाँ गया, मुझे देखते ही वो डरकर पीछे हो गई… मैंने भी अंदर देखा… एक और सरप्राइज तैयार था… अंदर अरविन्द अंकल और सलोनी थे… मैं थोड़ा आश्चर्यचकित हो जाता हूँ… कहानी जारी रहेगी।
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मेरी चोदन कहानी के पिछले भाग
Chachi Ki Chudas Ka Ilaj-3
अब किस हुई तो बात आगे भी बढ़नी ही थी. हम कब उस रोमांटिक पल से काम वासना की ओर चल दिये हमें पता ही नहीं चला। हम दोनों की किस और टाइट होती चली गयी और उसने मुझे धकेल के दीवार से सटा दिया और हम दोनों काफी ज़ोर से एक दूसरे को किस कर रहे थे, हम दोनों एक दूसरे के होंठों की होंठों से रगड़ रहे थे, अब वो मेरे और मैं उसके होंठों को चूस रही थी। लगभग 1-2 मिनट के किस के बाद हम हटे, हम दोनों के दिल ज़ोरों से धड़क रहे थे।
प्रेषक : राज आकाश
मेरा नाम अजय राज है और मैं रेल गाड़ी से भोपाल से मुम्बई जा रहा था मेरे आरक्षित बर्थ के सामने वाले बर्थ पर एक खूबसूरत कमसिन लड़की बैठी हुई थी। उसके माता पिता शायद ऊपर वाली बर्थ पर थे.
कार में लंड चुसाई की कहानी
अब तक आपने पढ़ा था कि मुझे एक पुलिस अधिकारी ने अपनी बहन बना कर मुझसे अपना काम करवा लिया था लेकिन उसने मुझे खुद हाथ भी नहीं लगाया था बल्कि उसने मुझसे राखी बंधवाने का इरादा भी जताया था.
भाई बहन की चुदाई की यह स्टोरी मेरी पहली चुदाई की है कि किस तरह मैंने अपने सगे भाई को अपना बदन दिखा कर उसकी कामुकता जगा कर अपनी बुर की चुदाई करवाई!
मैं रोनित एक बार फिर आपकी सेवा में हाज़िर हूँ। मैं आपको आज एक कहानी बताने जा रहा हूँ, जो एक मीठी घटना के रूप में मेरे जीवन में दो साल पहले घटी थी।