मेरी चालू बीवी-16
इमरान
इमरान
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नमस्कार दोस्तो, मैं संदीप साहू आपकी सेवा में एक बार फिर से हाजिर हूँ। आपने मेरी पिछली कहानी
नमस्कार दोस्तो, आपका संदीप साहू कहानी का अगला भाग लेकर एक बार फिर हाजिर है। आप लोगों के ईमेल मुझे लगातार प्राप्त हो रहे हैं, सभी का जवाब दे पाना संभव नहीं है, इसलिए इस कहानी में मैंने सभी को एक साथ जवाब देने का प्रयत्न किया है।
दोस्तो, मेरा नाम सूरज है, मैं सहारनपुर का रहने वाला हूँ, फिलहाल पढ़ाई कर रहा हूँ।
दस दिन बाद मेरा बैंक का पेपर लखनऊ में था। मेरी कोई तैयारी नहीं थी। मैं घर मैं बोर हो रही थी, मैंने सासु मां से कहा- मैं पेपर दे आती हूँ।
सम्पादक – जूजा जी
दोस्तो, मेरा नाम कृष्णकांत है, मैं 24 साल का हूँ, सुंदर हूँ, सेहतमंद हूँ, आज मैं आपको दो साल पहले की एक कहानी सुनाने जा रहा हूँ।
हाई जानू
एक बार फिर दारू का दौर चला, सभी मर्द और औरतें हर पल का मजा ले रही थी और किसी को कुछ भी दिक्कत नहीं हो रही थी। दारू का दौर, सिगरेट के धुएं से बनते हुए छल्ले और उसके बाद हम औरतें जो हर समय अपनी चूत की प्यास बुझाने के साथ-साथ मर्दो के लंड को भी शांत कर रही थी।
Ek Raat Randi ke Sath
सम्पादिका: श्रीमती तृष्णा लूथरा
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मेरी सेक्स स्टोरी हिंदी में आपने पढ़ा कि सिनेमा हाल में मिले दो अंकल मेरे शरीर से खेलने के बाद मुझे अपने घर ले जाने की जिद करने लगे.
हैलो दोस्तो, मैं आज फिर से आपके सामने एक नई कहानी लेकर हाज़िर हूँ। आपके मेलों के लिए शुक्रिया।
दोस्तो.. मैं अपनी गर्लफ्रेंड की पहली बार की चूत चुदाई की कहानी आपको बता रहा हूँ।
फ़ुलवा की चुदाई देख चन्दा चुदी
हाई जानू…
दोस्तो, अन्तर्वासना पर ये मेरी पहली कहानी है. मेरा नाम विजय है. वैसे तो मैं जयपुर से हूँ, लेकिन फाइनेंस बैंक में एरिया सेल्स मैंनेजर होने की वजह से पूरे राजस्थान में घूमा हूँ. मेरी लम्बाई 5 फुट 11 इंच है और मैं अभी 26 साल का हूँ. दोस्तो, मेरा लंड का साइज़, तो वो ही बता सकती है, जिसने इसकी सेवा ली है. अगर एक बार जिसने इसकी सेवा ले ली, वो कभी दूसरा लंड लेने की नहीं सोचेगी इतना मुझे खुद पर पूरा भरोसा है.
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अन्तर्वासना के सभी दोस्तों को अरुण का नमस्ते, आप लोगों के ई मेल के ज़रिये ही मुझे वर्तमान में सेक्स को लेकर लड़के लड़की या पति पत्नी के बीच क्या चल रहा है, यह मालूम पड़ता रहता है, और यही मेरे द्वारा लिखी कहानियों में झलकता है।
तो मेरी सेक्स कहानी के पिछले भाग
बिना शादी के सुहागरात मनानी पड़ी-1
खाली जेब और तंगहाली वैसे तो एक अभिशाप है, लेकिन मेरे जैसे कई किस्मत वाले होते हैं, जो इसी तंगहाल फाकामस्ती में अपना रास्ता खोज कर बेफिक्र जिंदगी जीते हैं. माँ बाप कब चल बसे, मुझे खुद नहीं पता, किसी रिश्तेदार का मुँह कभी नहीं देखा, बस खुद को जब से याद करता हूँ तो एक जोड़ी कपड़े में आधे भूखे पेट ही याद करता हूँ.