लिफ़्ट देने के बाद
प्रेषक : स्वप्निल
प्रेषक : स्वप्निल
मेरा नाम मो.शाहिद है।
अब तक आपने पढ़ा..
‘ओह नो … इट्स हॉरीबल …’ मेरे मुँह से शब्द निकले. अन्दर जो हो रहा था, उसे देख कर मैं शॉक हो गयी थी. अन्दर दादाजी सोनल के पास बैठे थे और अपने हाथों से सोनल का गाउन ऊपर उठाया हुआ था. वे उसके पैरों पर अपने हाथ घुमा रहे थे. धीरे धीरे उनका हाथ उसकी जांघों की तरफ बढ़ने लगा था. उनकी उंगलियां सोनल की पैंटी के बॉर्डर पर घूम रही थीं और एक उंगली उसकी चूत की दरार पर पैंटी के ऊपर घूम रही थी. कुछ ही पलों में उन्होंने अपना पूरा हाथ सोनल के त्रिकोणीय खजाने पर रखा और उसकी चूत को मसलने लगे.
हाय दोस्तो, मैं अन्तरवासना का नियमित पाढ़क हूँ और मैं इस पर छपने वाली हर कहानी को बड़े ही मजे से पढ़ता हूँ।
सुनीता और अजय दोनों भाई-बहन अपनी दीदी अनीता के यहाँ आ गये थे। अनीता ने भाई बहन की खूब खातिरदारी की।
अब तक आपने पढ़ा..
अब तक ट्रेन में भीड़ कम हो गई थी, लेकिन दोनों उसी जगह, हैंडरेल का सहारा लिए, खड़े हुए बतिया रहे थे।
हाय दोस्तो, मेरा नाम पार्थ है. मैं आज आपके लिये एक असली चुदाई की कहानी लाया हूँ. ये सच्ची कहानी मेरी और मेरी गर्लफ्रेंड की है. मैं दिखने में खूबसूरत हूँ. मेरा शरीर भी बहुत गठीला है मैंने इसे काफी कसरत आदि करके बहुत अच्छे ढंग से संवारा हुआ है. मैं 8 इंच के मोटे लंड का मालिक हूँ जो किसी भी लड़की की प्यास को बड़ी आसानी से बुझा सकता है.
सुनील ने मुझे राहुल से इतवार को मिलवाने का वादा किया था। मैं रविवार का इंतज़ार करने लगी और सोचती रही राहुल कैसा दिखता होगा, जिम में ट्रेनर है लोगों की बॉडी बनवाता है, तो उसकी खुद की बॉडी कितनी मस्त होगी, मैं दो दिनों तक दिन-रात यही सोचती रही।
Bahut Kuchh Khoya Bahut Kuchh Paya-2
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प्रेषक – माही सक्सेना
आज तक मुझे सिर्फ 3 लड़कियों से सेक्स करने का मौका मिला है, उन में दो इंडियन कॉलेज गर्ल थी.
दोस्तो, मैं एक बार फिर से हाजिर हूँ अपनी कहानी लेकर।
दोस्तो नमस्कार.. मैं नेहा फिर से आप लोगों के सामने कामवासना से भरी एक सच्ची उत्तेजक घटना लेकर आ रही हूँ.. और मेरे पहले की कामुक कहानियाँ पसन्द करने के लिए मेरे प्रिय पाठकों को धन्यवाद।
शर्मा जी और हम पास पास ही रहते थे। दोनों के ही सरकारी मकान थे। मेरे पति और शर्मा जी एक ही कार्यालय में कार्य करते थे। शर्मा जी का भाई पास ही में एक किराये के मकान में रहता था और एक प्राईवेट कम्पनी में काम करता था।
अन्तर्वासना की एक पाठिका अपनी एक समस्या पर आपसे कुछ सुझाव पाना चाहती हैं।
दूसरे दिन मैं रूटीन काम निपटा कर ऑफिस गई पर ऑफिस में मेरा मन नहीं लग रहा था, किसी तरह से काम निपटा कर मैंने बॉस से उसके घर की चाभी ली और एवज में बॉस ने अपने दो मिनट का खेल मेरी चूत में खेला।
दोस्तो, आज मैं आपके सामने एक ऐसी कहानी पेश करूंगा, जिसे पढ़ कर आप भी सोचेंगे के इंसान के मन में कब क्या चल रहा होता है, इसका कोई भी अंदाज़ा नहीं लगा सकता।
दोस्तो, मेरी कहानी के सत्रहवें भाग में आपने पढ़ा कि मैं, मेरी सगी बहन और चचेरी बहन, हम तीनों ने एक ऊंची पहाड़ी पर जाकर चुदाई की, मेरी चचेरी बहन ने पहली बार गांड मरवाई.
अब तक आपने पढ़ा..
अब तक मैंने उसका साड़ी का पल्लू गिराकर उसके स्तनों पर कब्ज़ा कर लिया था। उन्हें पीछे से पकड़कर मसलने में अनुपम सुख मिलने लगा।
ये वैभव और उसके दोस्त की बीवी की चुदाई की सच्ची कहानी है। वैभव जब बैंक में काम करता था। उसका वह एक दोस्त बन गया मिस्टर आर (वास्तविक नाम नहीं) और वो भी पक्का। अब वो एक साथ खाते और एक साथ पीते थे।
कहानी का पिछला भाग : एक कुंवारे लड़के के साथ-1