अंकल की दुल्हन बनकर गांड चुदवा ली
मेरा नाम दीपक है.. सब मुझे प्यार से दीपिका बुलाते हैं। आज मैं आप सबको अपनी गांड चुदाई की कहानी सुनाना चाहता हूँ।
मेरा नाम दीपक है.. सब मुझे प्यार से दीपिका बुलाते हैं। आज मैं आप सबको अपनी गांड चुदाई की कहानी सुनाना चाहता हूँ।
दोस्तो, आज मैं आपको एक नई बात बताने जा रहा हूँ। जब य बात मैंने सुनी तो मुझे भी बड़ी हैरानी हुई, मगर जिसने ये बात मुझे
यह मेरी अपनी कहानी है. आज की तारीख में मैं एक दिन भी चुदवाए बिना नहीं रह सकती. मगर मैं कैसे इस तरह की बन गई, इसकी भी एक पूरी कहानी है जो मैं आज सब के सामने बिना कुछ भी छुपाए बताने जा रही हूँ.
मुंबई में, सुना था कि सबसे बड़ी समस्या मकान की होती है इसलिए मैंने अपने कई आफिस के लोगों से कह रखा था कि कोई ढंग का सस्ता सुंदर 1 से 3 कमरों का सेट मेरे लिए खोजें।
प्रिय दोस्तो, इस कहानी को मेरी एक मित्र ने मुझे लिखा है जिसे मैं संपादित करके आप सभी के सामने पेश कर रहा हूँ।
नमस्ते दोस्तो,
मेरा नाम जॉर्डन चौधरी है, मेरी हाइट 5.7 फीट है, एवरेज बॉडी है, लंड का साइज़ 6.5 इंच है और चुदाई में बहुत अच्छा हूँ. वो आप को रियल सेक्स स्टोरी से पता चल जायेगा और जो भाभी मुझसे चुदती है वही ऐसे बोलती है.
आमिर खान
सम्पादक – इमरान
हम लोगों ने राँची की एक नई हाउसिंग कॉलोनी में शिफ्ट किया है. हमारी परिवार कुल जमा 16 सदस्यों का है. रविवार के दिन हम अभी लोग इकट्ठा होते, जिसमें औरतों की किटी पार्टी बच्चों का खेल कूद मनोरंजन प्रोग्राम आदि होता. हम लोगों का चाय वगैरह के साथ नीतिगत निर्णय होते. उसी में हाउसिंग सोसाइटी का निर्माण हुआ तथा अध्यक्ष कोषाध्यक्ष आदि का चयन सर्वसम्मति से हुआ.
पहले सलोनी ही उठी, वो बिल्कुल नंगी ऐसे ही उठकर खड़ी हो गई, उसने एक कमर तोड़ अंगड़ाई ली तो उसके मदमस्त बदन का एक एक कटाव खिल कर उजागर हो उठा।
लेखिका : मन्दाकिनी
दोस्तो, मैं अन्तर्वासना 5 साल से नियमित रूप से पढ़ता हूँ। यह मेरी पहली कहानी है। आशा करता हूँ आप सबको पसंद आएगी।
कहानी का पहला भाग: भाभी के बाद कामवाली-1
रज़िया शेख नाम की एक आंटी सेक्स की प्यासी थी, यह मुझे तब पता चला जब एक दिन उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया.
प्रिय दोस्तो, आप सबको मेरा प्यार भरा नमस्कार।
विक्की कुमार
प्रणाम पाठको,
मैं दुनिया में बिल्कुल अकेली थी। मेरे माँ-बाप बचपन में ही एक दुर्घटना में चल बसे थे। मेरे मामा ने ही मुझे पाल-पोस कर बड़ा किया था। एम कॉम तक मुझे पढ़ाया था। मेरे मामा भी बहुत रंगीले थे। बचपन से ही वो मेरे शरीर से खेला करते थे। मेरे छोटे छोटे मम्मों को वो खूब दबाते थे। मेरी कम समझ और विपरीत लिंग आकर्षण के कारण मुझे इसमें बहुत आनन्द आने लगा था। बस उन्होंने रिश्तों का लिहाज करके मुझे चोदा नहीं था जबकि मुझे तो चूत में बहुत ही खुजली होती थी।
‘हवसनामा’ के अंतर्गत आज की यह कहानी एक ऐसे युवक फैजान से सम्बंधित है जो उन हालात का सामना करता है जिनसे वह राजी तो नहीं लेकिन जिन्हें बदल पाना उसके बस का नहीं था तो उन्हें चुपचाप स्वीकार कर लेने के सिवा और कोई चारा भी नहीं था। चलिये कहानी की शुरुआत फैजान के ही शब्दों से करते हैं।
पर्बती की ना और बाद में मेरी भी ना
लेखिका : नेहा वर्मा
अब तक की इस सेक्स स्टोरी के पिछले भाग
नमस्कार दोस्तो, समय के अभाव के कारण मैं अपनी पसंदीदा साइट अंतर्वासना सेक्स स्टोरीज़ से काफी समय तक दूर रहा।
प्रेषिका : स्लिमसीमा