सेक्स पावर बढ़ाने के उपाय
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा एक बार फिर नमस्कार।
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा एक बार फिर नमस्कार।
मेरी बीवी चिल्ला कर पैर पटकने लगी पर दोस्त ने कस कर उसकी नंगी चूत को ना सिर्फ मसला बल्कि उंगलियाँ चूत में डाल कर हिलाने लगा।
ईश्वर सबसे बड़ा रचयिता है, उसके कला कौशल की कोई सीमा नहीं है. कितनी तरह के पेड़ पौधे, कितनी तरह के जीव जंतु, कितनी तरह के मनुष्य. सभी के रंग रूप अलग अलग. न कोई कलाकार परमपिता की बराबरी कर सकता है और न ही कोई कंप्यूटर उसके बराबर रचना कर सकता है. मनुष्य की रचना भी कितनी पूर्णता के साथ की. देखने के लिए आँखें हैं, खाने के लिए मुंह है, चलने के लिए पैर हैं. कार्य करने के लिए हाथ हैं और सृष्टि के संचालन के लिए यौनांग हैं. ईश्वर के द्वारा बनाई गयी कोई भी वस्तु निरर्थक नहीं है.
अन्तर्वासना के सभी प्रेम पुजारियों को आशिक राहुल की तरफ से एक बार फिर से नमस्कार!
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मैं आपको उस हादसे के बारे में बताता हूँ जिसके कारण मैं और मेरी बहन माही एक-दूसरे के इतने करीब आ गए. ये बात तब की है जब मैं कॉलेज जाता था और माही स्कूल में पढ़ती थी.
सभी अन्तर्वासना पाठकों को मेरा खड़े लण्ड से नमस्कार।
आज से 2 साल पुरानी बात है.. जब मैं 18 साल का था और मैं चंडीगढ़ से राजस्थान अपने घर गया था।
Padosan ne Rasoi me Lauda Chusa
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इस कहानी के पात्र व घटनाएँ काल्पनिक हैं।
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प्रेषक : पंकज कपूर
अब रागिनी की बारी थी। वो तो पेशेवर रंडी थी। मैंने सिर्फ उसे इशारा किया और वो बिंदा के बगल में जमीन पर नंगी लेट गई।
सम्पादक – जूजा जी
दोस्तो, मैं एक खूबसूरत और स्मार्ट लड़का हूँ, मेरा नाम सौरभ है मुझे सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं पता था।
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प्रेषक : आसज़
जब भी दर्दनाक लहर मेरे जिस्म में फूटती तो साथ ही मस्ती भरी मीठी सी लहर भी तमाम जिस्म में दौड़ जाती। दर्द ओर मस्ती के दोनों एहसास जैसे पिघल कर एक साथ धड़कते और फिर जुदा होते और फिर एक बार दोनों एहसास आपस में पिघल कर मिल जाते।
यह कहानी मेरे जीवन का सच है। जब मैं छोटा था तभी से मुझे आंटियों की चुचियाँ और मोटी गाण्ड देखने का बहुत शौक रहा है। बड़ी और मोटी औरतें हमेशा से मेरी पसंद रही हैं। जो मज़ा बड़ी चुचियों में है.. वो और कहाँ!
यह आपबीती मेरे एक सीनियर की है जिनका नाम अजय जायसवाल है।
अब तक आपने पढ़ा..
मेरी इस कहानी के पिछले दो भागों में आपने पढ़ा था कि किस तरह मेरे पति ने मुझे रण्डी बना दिया जिसमें मेरी भी सहमति थी।
मैं रेशू.. बचपन से सभी से घुल मिलकर रहती थी। किसी की भी गोद में बैठ जाती थी और किसी भी अंकल के साथ घूमने चली जाती थी।
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