मौसी की बेटी की चूत में लंड पूजन
नमस्त भाइयो तथा सभी प्रकार की चूतों को सादर प्रणाम!
नमस्त भाइयो तथा सभी प्रकार की चूतों को सादर प्रणाम!
सम्पादक जूजा
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रवि ने धीरे से आँख खोल कर देखा तो ड्रेसिंग टेबिल के सामने शालू भाभी खड़ीं थीं, उनके बालों से पानी की बूंदें टपक रहीं थीं, भाभी ने अपने नंगे बदन को एक बड़े तौलिये से ढक रखा था। भाभी की चिकनी पतली टांगों से पानी की बूंदें नीचे बह रहीं थी।
दोस्तो, मेरा नाम राज है, उम्र 30 साल, मैं एक डिज़ाईनर हूँ, फरीदाबाद का रहने वाला हूँ।
अब तक आपने पढ़ा..
Hasptal me Nurse ki Kunvari Choot
अब तक आपने पढ़ा..
नमस्कार दोस्तो, मैं संदीप साहू आपकी सेवा में एक बार फिर से हाजिर हूँ। आपने मेरी पिछली कहानी
दोस्तो, मेरी पिछली वाइफ स्वैपिंग कहानी
दोस्तो, अक्सर आपने कहानियाँ पढ़ीं होंगी, लोगों के बारे में कि उसने अपनी ज़िंदगी में कितनी औरतों और लड़कियों से सेक्स किया है.
सुबह जीजा साली दोनों साथ नहाए और नाश्ता करके मनस्वी 8 बजे तक निकल गया।
प्रेषक :राजा गर्ग
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मेरा नाम रजनीश है, मेरी उम्र 23 साल है।
अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज के पाठकगण!
जी नहीं ! मुझे यह कहने में जरा भी शर्म नहीं है कि मैं एक वेश्या यानि सेक्स वर्कर हूँ ! मेरे कई नाम हो सकते हैं- वेश्या, कालगर्ल, एस्कोर्ट, धन्धेवाली, कोठे वाली, रण्डी, सेक्स वर्कर, प्रोस्टीच्यूट Callgirl, Prostitute, Sex Worker, Escort
हेल्लो दोस्तो ! मेरा नाम राजा है बदला हुआ नाम है और ये मेरी और मेरी मामी की है जो एक छोटे से गांव में रहती थी और मेरे मामा की वहां खेती- बाड़ी है। पर वहां सूखा पड़ जाने के कारण मेरे मामा हमारे यहाँ रहने के लिए आ गये तो मेरे पापा ने उनको कहा कि जब तक तुम को कोई काम नहीं मिल जाता तुम लोग हमारे ही साथ ही रहो। तो मेरे मामा मान गए और वो रोज़ मेरे पापा के साथ जाते।
आप सभी को नमस्कार आप सभी ने मेरी पहले भेजी हुई कहानियाँ पढ़ी और उन्हें पसंद किया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
दोस्तो, मैं आपकी अपनी सहेली माया… आज मैं आपको अपनी एक और करतूत के बारे में बताने जा रही हूँ।
दोस्तो.. आज हम सब की प्यारी सविता भाभी की चुदाई की वो अनजानी कहानी पेश है.. जिसके बारे में कभी मालूम नहीं चल सका था।
मैं शेखर का लिंग हूँ। मुझे अनेकों उपनामों से जाना जाता है क्योंकि लोग मेरा नाम लेने से शर्माते हैं। शेखर 36 साल का है और मुझ में बहुत दिलचस्पी रखता है। जब शेखर छोटा था तब उसे मेरे में कोई खास रूचि नहीं थी। तब मैं खुद भी छोटा ही था और शेखर सिर्फ मुझे सुसू करने के लिए इस्तेमाल करता था … पर आजकल तो मैं उसकी सोच का केंद्रबिंदु सा बना हुआ हूँ।
लेखक : अनुज पटियाला
सम्पादक – जूजा जी
हवसनामा सीरीज की पहली कहानी थी: मेरी तो ईद हो गयी