गन्दा पानी और चालू लड़की दोनों आग बुझाने के काम आ सकते हैं
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को पेनकिलर की नमस्ते।
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को पेनकिलर की नमस्ते।
अब तक आपने पढ़ा..
कहानी का पिछला भाग: मैडम एक्स और मैं-3
पूजा की मस्त चुदाई के बाद उसकी गांड मारने का मूड बन गया था। मैंने कामोत्तेजक गोली खा कर उसकी आज रात को गांड मारने का मन बना लिया था।
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को नीटू का नमस्कार, मेरी उम्र 25 साल है और मैं जयपुर का रहने वाला हूँ. ये मेरी पहली चुदाई स्टोरी है. जब से मैंने अन्तर्वासना पर कहानी पढ़ना शुरू की, तब से ही मेरा मन था कि मैं अपनी सेक्स स्टोरी आप सभी के साथ शेयर करूँ.
चाँदी जैसी चूत है तेरी, उस पे सोने जैसे बाल ..
प्रेषक : ?
प्रेमशिर्ष भार्गव
मैंने मौसा जी की ओर देखा तो मौसा जी मुझे ही देख रहे थे। उनकी आँखों में वासना भरी थी, मैंने अपनी ओर देखा तो मुझे भी समझ आ गया।
मेरा नाम राकेश है, 4 साल पहले मैंने एम बी ए किया था। अभी हाल मैं ही मैंने एक नई कम्पनी कल्याण में ज्वाइन की। मेरी उम्र 27 साल, और मैं औरंगाबाद का रहने वाला हूँ।
नमस्कार पाठको, मेरा नाम साहिल है और मैं 21 साल का हूँ. मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ. मुझे अन्तर्वासना पर प्रकाशित गे कहानियां बहुत पसंद हैं. आज मैं आपके साथ एक गांड मराने के कहानी शेयर करूँगा.
पिंकी सेन
अन्तर्वासना से जुड़े सभी साथियों का मेरा प्यार भरा नमस्कार।
इस हिन्दी चुदाई कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि समीर की बीवी नीलम ने अपने पति समीर को चुदाई के लिये मना कर दिया था क्योंकि समीर का लंड बहुत बड़ा था. समीर का अधूरापन और उसकी विधवा बहन की प्यास जब दोनों आपस में मिले तो भाई-बहन की चुदाई चालू हो गई थी.
“आज मैं आपके बेटे की बीवी हूँ।”
हाय रीडर्स, और इसे पढ़ने वाली सभी लड़कियाँ, आंटियाँ, भाभियाँ सभी को प्यार भरा नमस्कार!
अपनी सुहागरात की पहली चुदाई की कहानी सुना कर सुहाना चुप हो गई.
अब तक की कहानी में आपने पढ़ा…
आप सबको आपकी अंतरा का रस भरा नमस्कार
अब तक आपने पढ़ा..
मैं चन्दन पटना का रहने वाला हूँ, आप सभी अन्तर्वासना के पाठकों को लण्डवत प्रणाम करता हूँ।
फिर हम बिस्तर पर लेट गए। बाहर से अभी भी तेज आवाज आ रही थी, मैंने झांक कर देखा तो…
दोस्तो, मेरा नाम हर्ष चौधरी है और सभी मुझे प्यार से हर्षु कह कर बुलाते हैं। मेरा घर तो हरियाणा में है परंतु मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ता हूँ और हर रोज आना जाना दूर पड़ता है इसलिए मैंने कॉलेज के पास में ही एक रूम किराये पर ले लिया रहने के लिए।
कोई चार साल के बाद मैं निक्की, अपने मायके दिल्ली आई थी और अपने छोटे भाई के यहाँ ठहरी थी जो बाहर काम करता था और मेरे आने का सुन कर वो मुझ से मिलने आया हुआ था। रोज़ ही किसी ना किसी के यहाँ दावत होती थी।